कल से यानी 8 नवंबर से इस साल छठ पूजा का त्योहार मनाया जाएगा। इस चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। 8 नवंबर से नहाय-खाय शुरू होगा और इसके अगले दिन 9 नवंबर को खरना और 10 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद 11 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया जाता है। मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत करने से संतान की लंबी उम्र होती है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा को छठ पूजा करने की सलाह दी थी तभी से महिलाएं यह व्रत कर रही हैं। छठ पूजा बिहार का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. ऐसे में आइए जानते हैं छठ पूजा से जुड़े नियम-
अक्सर बच्चे बिना हाथ धोएं गंदे हाथों से सामान छू लेते हैं हैं। अगर सामान को गंदे हाथों से छू लिया जाए तो उस सामान को दोबारा इस्तेमाल न करें। पूजा में बनने वाला प्रसाद भी पहले नहीं देना चाहिए।
छठ पर्व के दौरान पूरे दिनों तक व्रती समेत पूरे परिवार को प्याज और लहसुन आदि का भोजन में सेवन नहीं करना चाहिए।
छठ पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, किसी भी चीज को हाथ धोए बिना ना छुएं।
व्रती महिलाओं को पूरे चार दिन पलंग या चारपाई पर भूलकर न सोएं. व्रत के दौरान जमीन पर कपड़ा बिछाकर सोना चाहिए।
सूर्यदेव को जल देते समय चांदी, स्टील या प्लास्टिक बर्तन इस्तेमाल न करें।
छठ पूजा का प्रसाद हमेशा ऐसा स्थान पर बनाना चाहिए, जहां रोजमर्रा में खाना नहीं बनता हो।