सनातन धर्म में भगवान शिव को प्रमुख देवताओं में से एक माना जाता है और देवो के देव महादेव को कई सारे नामों से जाना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक, सोमवार और सावन के महीने में गंगाजल और दूध से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। यही नहीं इन्हीं दिन भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। सोमवार के दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती का भी पूजन किया जाता है।
बता दें, हिन्दू धर्म में तीन प्रमुख देव माने गए हैं, वे हैं ब्रह्मा, विष्णु व महेश यानि शिव। ऐसे में इन देवों को लेकर एक नहीं बल्कि कई तरह के रहस्य बने हुए हैं। ब्रह्मा की उत्पत्ति जहां भगवान विष्णु की नाभि से मानी जाती है, वहीं शिव की उत्पत्ति को लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं। तो आज हम आपको भगवान शिव से जुड़ी कुछ खास गुप्त बातें बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में कहीं न कहीं वर्णन मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि आज से हजारों लाखों वर्ष पूर्व वराह काल की शुरुआत में जब देवी-देवताओं ने धरती पर कदम रखे थे, तब उस काल में धरती हिमयुग की चपेट में थी। इस दौरान भगवान शंकर ने धरती के केंद्र कैलाश को अपना निवास स्थान बनाया।
विष्णु ने समुद्र को और ब्रह्मा ने नदी के किनारे को अपना स्थान बनाया था। पुराण कहते हैं कि जहां पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है, जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है, जबकि धरती पर कुछ भी नहीं था। इन तीनों से सब कुछ हो गया। वैज्ञानिकों के अनुसार भी तिब्बत धरती की सबसे प्राचीन भूमि है और पुरातनकाल में इसके चारों ओर समुद्र हुआ करता था। फिर जब समुद्र हटा तो अन्य धरती का प्रकटन हुआ और इस तरह धीरे-धीरे जीवन भी फैलता गया।
सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें आदि देव भी कहा जाता है। आदि का अर्थ है प्रारंभ। शिव को 'आदिनाथ' भी कहा जाता है। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम आदिश भी है। इस 'आदिश' शब्द से ही 'आदेश' शब्द बना है। नाथ साधु जब एक-दूसरे से मिलते हैं तो कहते हैं- आदेश। शिव के अलावा ब्रह्मा और विष्णु ने संपूर्ण धरती पर जीवन की उत्पत्ति और पालन का कार्य किया। सभी ने मिलकर धरती को रहने लायक बनाया और यहां देवता, दैत्य, दानव, गंधर्व, यक्ष और मनुष्य की आबादी को बढ़ाया।
कलयुग और भगवान
ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल तक देवता धरती पर रहते थे। महाभारत के बाद सभी अपने-अपने धाम चले गए। कलयुग के प्रारंभ होने के बाद देवता बस विग्रह रूप में ही रह गए अत: उनके विग्रहों की पूजा की जाती है।