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जिस साबूदाने को बड़े चाव से कहते है, कभी सोचा आखिर कैसे तैयार होता है

साबूदाना कैसे बनता है

नवरात्रि के साथ ही साल के सबसे बड़े त्योहारी सीजन की शुरुआत हो जाती है। माता रानी के भक्त नौ दिन उपवास करके मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं। ऐसे में व्रत में खाए जाने वाली चीजों में साबूदाना सबसे ज्यादा खाया जाता है व्रत के बिना भी कुछ लोग इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में खाए जाने वाले यह आहार आखिर फैक्ट्री या दुकान में किस तरह से तैयार किया जाता है।

व्रती लोग साबूदाने का बड़े शौक से सेवन करते हैं, क्योंकि इस दौरान इसे खाने की मनाही नहीं होती है। वैसे ये किस तरह तैयार होता है ये सवाल कहीं न कहीं हर किसी के मन में रहता है। बता दें कि साबूदाना को एक पेड़ के जरिए बनाया जाता है। इसकी खेती दक्षिण अफ्रीका में ज्यादा होती है, लेकिन बताया जाता है कि ये पेड़ अफ्रीका (Africa) का होता है।

इस पेड़ के तने से बनता है साबूदाना

साबूदाना (sago) किसी अनाज से नहीं बनता है, बल्कि यह सागो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो, ताड़ की तरह का एक पेड़ होता है। इस पेड़ का तना मोटा हो जाता है और इसके बीच के हिस्से को पीसकर पाउडर बनाया जाता है। इसके बाद इस पाउडर को छानकर गर्म किया जाता है जिससे दाने बन सके। साबूदाना के निर्माण के लिए एक ही कच्चा माल है ‘टैपिओका रूट’ जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘कसावा’ के रूप में जाना जाता है। कसावा स्टार्च को टैपिओका कहा जाता है।

ऐसे बनता है साबूदाना

भारत में साबूदाना टैपिओका स्टार्च से बनाया जाता है। Tapioca स्टार्च को बनाने के लिए कसावा नामक कंद का इस्तेमाल किया जाता है जो बहुत हद तक शकरकंद जैसा होता है। इस गूदे को बड़े-बड़े बर्तनों में निकालकर आठ-दस दिन के लिए रखा जाता है और रोजाना इसमें पानी डाला जाता है। इस प्रक्रिया को 4-6 महीने तक बार-बार दोहराया जाता है। उसके बाद बनने वाले गूदे को निकालकर मशीनों में डाल दिया जाता है और इस तरह साबूदाना प्राप्त होता है, जिसे सुखाकर ग्लूकोज और स्टार्च से बने पाउडर की पॉलिश की जाती है और इस तरह सफेद मोतियों से दिखने वाले साबूदाने बाजार में आने के लिए तैयार हो जाते हैं।

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इन गुणों से भरा है साबूदाना

इसमें कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में पाया जाता है और कैल्शियम और विटामिन-सी की कुछ मात्रा भी मौजूद होती है। इसी कारण व्रत में इससे बनी चीजें खाने का चलन बढ़ता गया है। इससे खिचड़ी, हलवा, चाट आदि व्रत वाली रेसिपीज बनाई जाती है।