आज महानवमी हैं। नवरात्रि में महानवमी का दिन सबसे खास माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं अनुसार इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध करते देवी देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। महानवमी में कन्या पूजन कर व्रत को पूर्ण किया जाता हैं। छोटी बच्चियों को देवी का रूप मानकर उन्हें माता का भोग खिलाते हैं। चलिए आपको बता दें कि शारदीय नवरात्रि महानवमी व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त, योग, पूजा विधि और कथा…
शारदीय नवरात्रि महानवमी व्रत पूजा शुभ मुहूर्त
नवमी की तिथि शुरू: 13 अक्टूबर 2021 को रात 8: 07 बजे से
नवमी की तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार शाम 6:52 बजे
महानवमी के दिन रवि योग सुबह 9 बजकर 36 मिनट पर शुरु हो रहा है।
15 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 22 मिनट बजे तक रहेगा है।
महानवमी को राहुकाल दोपहर 01:33 बजे से दोपहर 03:00 बजे तक है।
महानवमी की पूजा में राहुकाल का त्याग करें तो उत्तम है।
मां सिद्धिदात्री पूजा विधि
आज प्रात: स्नान आदि से निवृत्त होकर महानवमी व्रत और मां सिद्धिदात्री की पूजा का संकल्प लें। फिर मातारानी को अक्षत्, पुष्प, धूप, सिंदूर, गंध, फल आदि समर्पित करें। उनको विशेषकर तिल का भोग लगाएं। नीचे दिए गए मंत्रों से उनकी पूजा करें। अंत में मां सिद्धिदात्री की आरती करें। मां दुर्गा को खीर, मालपुआ, मीठा हलुआ, पूरणपोठी, केला, नारियल और मिष्ठाई बहुत पसंद है। मातारानी को प्रसन्न करने के लिए आप इनका भोग लगा सकते हैं।
मां सिद्धिदात्री स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।