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Millet Hub: श्रीनगर में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन में भोजन का आनंद-स्थल

जम्मू और कश्मीर में मिलेट की समृद्धि और उद्यमियों को सशक्त बनाने का प्रदर्शन

ज़ुबैर क़ुरैशी

जम्मू और कश्मीर की सुरम्य राजधानी श्रीनगर इस समय भारत की अध्यक्षता में तीसरी G-20 कार्य समूह की बैठक की मेज़बानी कर रहा है। विदेशी प्रतिनिधियों और वैश्विक नेताओं के जमावड़े के बीच, शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (एसकेआईसीसी) में “मिलेट हब” नाम से एक असाधारण पहल की गयी है, जो कि मिलेट के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष का जश्न मनाने के लिए स्थापित एक विशेष फ़ूड स्टॉल है।

मिलेट,यानी मोटे अनाज प्राचीन फ़सलें हैं, जो कि एशिया और अफ़्रीका में हज़ारों वर्षों से उगायी जाती रही हैं।इसका अत्यधिक सांस्कृतिक और पोषण संबंधी महत्व है। उनके महत्व को स्वीकार करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत की पहल से प्रेरित होकर मार्च, 2021 में 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में घोषित कर दिया। अब मिलेट हब के साथ जम्मू और कश्मीर सरकार, जम्मू और कश्मीर ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से (जेकेआरएलएम) और ग्रास रूट इनोवेशन ऑगमेंटेशन नेटवर्क (जीआईएएन) का उद्देश्य स्थानीय उद्यमियों को एक मंच प्रदान करते हुए मिलेट के बहुमुखी उपयोग और फ़ायदों को उजागर करना है।

डल झील के तट पर स्थित मिलेट हब एक ऐसा पाककला-आश्रय स्थल है, जहां विदेशी प्रतिनिधि मिलेट आधारित व्यंजनों के स्वाद और विरासत का आनंद ले सकते हैं। यह स्टाल विविध प्रकार के ऐसे व्यंजन पेश करता है, जो मिलेट की अनुकूलता और विभिन्न क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्वादों के साथ सहजता से मिश्रण करने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित करता है। पारंपरिक मिलेट की रोटी और नमकीन स्नैक्स से लेकर मिलेट-आधारित मिठाई तक इस मेनू परियोजना में शामिल स्थानीय स्वयं सहायता समूहों की रचनात्मकता और पाक कौशल को दर्शाता है।

G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान मिलेट हब ने विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया, जिनमें जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी और डॉ. जितेंद्र सिंह के साथ-साथ G-20 शेरपा अमिताभ कांत शामिल थे। उनकी उपस्थिति ने इस पाककला की पहल के महत्व को और बढ़ा दिया है, जिससे लोगों और इस धरती दोनों को ही लाभ पहुंचाने वाली स्थायी प्रचलनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया गया।

केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “पर्यटन मंत्रालय और भारत सरकार स्थायी प्रचलनों को बढ़ावा देने के लिए सभी G-20 सदस्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करने के लिए समर्पित हैं। हम अपने समाज और पर्यावरण दोनों को लाभ पहुंचाने के लिए मिलेट और अन्य पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोणों की क्षमता का उपयोग करने में विश्वास करते हैं।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने श्रीनगर की समृद्ध शिल्प कौशल पर प्रकाश डाला, जो अपने जटिल पारंपरिक कला रूपों और दुनिया में सबसे ऊंचा रेलवे पुल होने की शहर की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग उपलब्धि के लिए जाना जाता है। उन्होंने आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक दायित्वों के संदर्भ में वैश्विक ज़िम्मेदारियों को निभाने के लिए भारत की तत्परता को व्यक्त किया। डॉ. सिंह ने युवाओं की आकांक्षाओं पर बल देते हुए कहा, “श्रीनगर के नौजवान ,प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व द्वारा पेश किए गए ज़बरदस्त अवसरों को पहचानते हैं। श्रीनगर के आम लोग प्रगति की इस वैश्विक यात्रा में सक्रिय भागीदार बनने की इच्छा रखते हैं।”

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सत्र को संबोधित करते हुए ज्ञान, समझ और लुभावने परिदृश्य के केंद्र के रूप में जम्मू और कश्मीर के ऐतिहासिक महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने अतीत में राज्य प्रायोजित आतंकवाद के कारण इस क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों को स्वीकार किया, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गयी विकास योजनाओं के परिवर्तनकारी प्रभाव पर भी प्रकाश डाला। उनके नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर ने उल्लेखनीय वृद्धि, शांति और विकास देखा है, जिसने इसे देश के विकसित राज्यों में से एक के रूप में इसे स्थापित कर दिया है।

मिलेट हब न केवल मिलेट के व्यंजनों की विविध जगत के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है, बल्कि इसका उद्देश्य स्थानीय उद्यमियों को सशक्त बनाना भी है। स्वयं सहायता समूहों के लिए एक मंच प्रदान करते हुए यह पहल उनकी इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित करती है, तथा आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है। यह मिलेट हब जम्मू और कश्मीर की उसस प्रगतिशील दृष्टि का प्रतिनिधित्व करता है, जो स्थायी प्रचलनों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।