श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में भगवान विष्णु के अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिया था। कृष्ण जी ने अपने जीवन में कई लोगों के घमंड को ध्वस्त किया। इस बात से उनकी पत्नी भी वंचित नहीं है। पौराणिक कथाओं में श्रीकृष्ण की आठ पत्नियों का जिक्र किया गया है , इनमें से एक थीं सत्यभामा। एक बार ऐसा हुआ जब सत्यभामा को अपनी सुंदरता पर घमंड हो गया। इस कथा में पढ़ें कि कैसे कृष्ण ने अपनी ही रानी का घमंड चकनाचूर किया।
एक बार की बात है, जब रानी सत्यभामा के साथ श्रीकृष्ण बैठे हुए थे। उनके साथ ही गरूड़ और सुदर्शन चक्र भी वहीं मौजूद थे। बात करते-करते ही सत्यभामा श्रीकृष्ण से पूछ बैठी, आपने त्रेतायुग में राक का अवतार लिया था। तब आपकी पत्नी सीता थी। क्या वो मुझसे ज्यादा सुंदर थीं? द्वारकाधीश को समझ आ गया था कि सत्यभामा को उनके रूप का अभिमान हो गया है। इसके बाद तुरंत ही गरूड़ भी श्रीकृष्ण से पूछ बैठे कि क्या कोई है जो दुनिया में मुझसे तेज उड़ सकता है? सभी के सवालों को देखते हुए सुदर्शन चक्र भी पूछ बैठे, हे प्रभु! क्या मुझसे कोई ज्यादा शक्तिशाली है। मैंने आपको बड़े-बड़े युद्धों में विजय दिलवाई है?
सभी के सवालों के तीरों को देखर श्रीकृष्ण को समझ आ गया था कि उनके तीनों भक्तों को बहुत ज्यादा अंहकार हो गया है। इससे वो मन ही मन मुस्कुरा दिए। श्रीकृष्ण ने इन सभी का अहंकार खत्म करने का सोचा। इस पर उन्होंने गरूड़ से कहा, "हे गरूड़! तुम हनुमान के पास जाओ। उससे कहना कि भगवान राम और माता सीता उनका इंतजार कर रेह हैं। गरूड़ ने श्रीकृष्ण की बात मानी और चले गए।
फिर श्रीकृष्ण ने सत्यभामा से कहा, "हे देवी! आप सीता की तरह तैयार हो जाएं। वहीं, द्वारकाधीश ने स्वयं राम का रूप धारण कर लिया। फिर श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र को भी आज्ञा दी और कहा कि तुम महल के मुख्य द्वार पर पहरा दो। ध्यान रहे मेरी आज्ञा के कि बिना महल में कोई न आ पाए। सुदर्शन चक्र भी मुख्य द्वार पर तैनात हो गए।
जैसे ही गरुड़ द्वारिका नगरी पहुंचे, तो वहां का नजारा देखकर दंग रह गए। हनुमान पहले ही दरबार में पहुंच चुके थे। गरुड़ को अपनी गति पर जो अभिमान था वह चकनाचूर हो गया। उन्हें लग गया कि वह संसार में सबसे तेज प्राणी नहीं हैं। वहीं, जब राम का रूप धारण किए हुए कृष्ण ने हनुमान से पूछा कि द्वार पर तुम्हें किसी ने रोका नहीं, तो वे बोले कि सुदर्शन चक्र ने मुझे रोका था लेकिन मैंने उसे अपने मुंह में ले लिया और अंदर आ गया। इस तरह सुदर्शन चक्र का घमंड भी टूट गया कि वह सबसे शक्तिशाली नहीं है।
इस दौरान हनुमान की नजर सीता के रूप में बैठी सत्यभामा पर पड़ी। हनुमान ने पूछ लिया कि प्रभु सबकुछ तो ठीक है लेकिन आपके साथ ये दासी कौन बैठी है। यह बात सुनकर सत्यभामा का मुंह भी उतर गया। उन्हें भी अपनी सुंदरता पर घमंड नहीं रहा। इस तरह कृष्ण ने एक युक्ति से तीनों का घमंड चकनाचूर कर दिया।