Aurangzeb: The Emperor of Counter-Reformation: अगर औरंगजेब की जगह उनके बड़े भाई दारा शिकोह के हाथों उस दौर में सत्ता रही होती तो आज के दौर में भारत का चेहरा कुछ और होता। 30 अगस्त 1659, को औरगंजेब (Aurangzeb: The Emperor of Counter-Reformation) ने शाहजहां के सबसे प्रिय बेटे और अपने बड़े भाई दारा शिकोह की गला काटकर हत्या कर दी। दिल्ली की सल्तनत की लड़ाई में यह एक खूनी तारीख के तौर पर याद की जाती है। मुगल बादशाह शाहजहां के उत्तराधिकारी उनके बड़े बेटे दारा शिकोह थे। दारा शिकोह एक विचारक, कवि, धर्मशास्त्री होने के साथ-साथ सैन्य मामलों के कुशल जानकार थे। कहा जाता है कि बादशाह शाहजहां बेटे दारा से इतना प्रेम करते थे कि वो उन्हें किसी भी जंग में हिस्सा नहीं लेने देते थे। यह भी कहा जाता है कि शाहजहां अपनी सभी संतानों में से दारा शिकोह को सबसे ज्यादा चाहते थे, जो उनके अन्य दूसरे बेटों को पसंद नहीं था। शाहजहां के इसी प्रेम ने दारा शिकोह और उनके छोटे भाइयों में दरार पैदा कर दी। जाने-माने पत्रकार और लेखक एमजे अकबर द्वारा लिखा गया निबंध ‘औरंगजेब: द एम्परर ऑफ काउंटर-रिफॉर्मेशन’ (Aurangzeb: The Emperor of Counter-Reformation) में मुगल के इस काल की कई सारी घटनाएं बताई गई हैं।
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भारत को समझना है तो दरियागंज जाएं
नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में जाने-माने पत्रकार और लेखक एमजे अकबर का मंगलवार को एक सार्वजनिक व्याख्यान था। जिसमें उन्होंने औरंगजेब के आने से समाज पर क्या असर पड़ा और दारा शिकोह से लेकर अकबर तक का जिक्र किया। एमजे अकबर ने इस दौरान कहा कि, भारत में सदियों से बना समन्वयवादी सामाजिक ताना-बाना औरंगजेब द्वारा इस्लाम थोपने से नष्ट हो गया। उन्होंने कहा कि अगर कोई अभी भी भारत को समझना चाहता है, तो उसे सुबह दरियागंज जाना होगा, जहां उसका स्वागत मस्जिद की अजान, हनुमान मंदिर की घंटियों की आवाज, चर्च की घंटियों की झंकार से, जैन मंदिर में मंत्रोच्चारण और गुरुद्वारे में प्रार्थना से होगा।
औरंगजेब ने जहांगीर और शाहजहां के संस्कृति को ही कुचल दिया
अपने निबंध, ‘औरंगजेब: द एम्परर ऑफ काउंटर-रिफॉर्मेशन’ को पढ़ते हुए एमजे अकबर ने कहा कि, अपने उदार बड़े भाई दारा शिकोह पर सामूगढ़ में औरंगजेब की जीत ने ऐसी प्रतिध्वनि छोड़ दी है कि 364 साल बाद भी यह राजनीतिक हलचल को भड़काती है। उन्होंने इस ओर इशारा किया कि, अगर दारा शिकोह ने औरंगजेब को हराकर ये जंग जीत ली होती तो, भारतीय इतिहास का पाठ्यक्रम सामंजस्यपूर्ण होता। उन्होंने कहा कि, जहांगीर और शाहजहां ने जिस मिश्रित संस्कृति का पोषण किया था, उसे औरंगज़ेब के दरबार में कट्टरपंथियों ने कुचल दिया था। उन्होंने औरंगज़ेब पर अपने रूढ़िवादी सुन्नी पादरियों द्वारा शरिया को थोड़ा-थोड़ा करके लागू करने और हिंदुओं के साथ दरार पैदा करने का आरोप लगाया। अकबर कहते हैं कि, “औरंगज़ेब और हिंदुओं के बीच बिगड़ते संबंधों का टूटना 2 अप्रैल, 1679 को पूरा हो गया था, जब अकबर द्वारा इस चुनाव कर को समाप्त करने के एक सदी से भी अधिक समय बाद, साम्राज्य के सभी हिस्सों पर जजिया फिर से लगा दिया गया था”।
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औरंगजेब के फौसलों ने ही उसे कमजोर कर दिया- शिवाजी ने पत्र लिख दी थी चेतावनी
एमजे अकबर ने आगे कहा कि, मुगल राजाओं के हिंदुस्तान में हिंदुओं और मुसलमानों को एक साथ रहने के लिए प्रेरित किया। एकता की इस गांठ को औरंगजेब ने आते ही तोड़ दिया। अपने पूर्वजों के वर्षों से बनाए इस संस्कृति को औरंगजेब को तोड़ने में कुछ ही वक्त लगा। औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर सहित भारत के मंदिरों को गिराने का आदेश दे दिया। औरंगज़ेब ने ने उसी काशी विश्वनाथ मंदिर के गिराने के अभियान का नेतृत्व किया जिसे राजा मान सिंह ने अकबर के अधीन बनाया था। औरंगज़ेब के गलते फौसलों ने देश के अन्य हिस्सों- अफगानों, सिखों, राजपूतों और शियाओं को भी विद्रोही बना दिया और इसके बाद उसका शासन कमजोर हो गया। शिवाजी मराठों के बीच उठे और हिंदुओं पर जजिया लगाने के लिए औरंगजेब को एक पत्र लिखा। अपने पत्र में, शिवाजी ने कहा कि सम्राट अकबर ने ईसाई, यहूदी, मुस्लिम, नास्तिक, ब्राह्मण, जैन और कई अन्य धर्मों जैसे विभिन्न संप्रदायों के संबंध में सार्वभौमिक सद्भाव की एक सराहनीय नीति अपनाई थी, जो “जगत गुरु” के रूप में प्रसिद्ध हो गया। मराठा नेता ने औरंगज़ेब को चेतावनी दी कि उनके शासनकाल में औरंगज़ेब के साम्राज्य से खुद को मुक्त करने वाले प्रांतों के साथ अराजकता देखी जा रही थी। शिवाजी ने चेतावनी दी कि वह भी एक ऐसे साम्राज्य के खिलाफ हथियार उठाएंगे जिसने जजिया की कठिनाइयों को लागू किया था।
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औरंगजेब का दिया घाव अभी भारत को भरना बाकी है
अपने निबंध, ‘औरंगजेब: द एम्परर ऑफ काउंटर-रिफॉर्मेशन’ को पढ़ते हुए एमजे अकबर कहते हैं कि, औरंगजेब को शिवाजी का पत्र भविष्यदर्शी था क्योंकि उनकी मृत्यु के तुरंत बाद साम्राज्य बिखर गया। औरंगजेब के विनाशकारी प्रशासन ने अंग्रेजों को भारतीय तटों पर ला खड़ा किया। यूरोपीय हमलों को पहले के मुगल शासकों द्वारा खदेड़ दिया गया था, लेकिन औरंगजेब के क्षयकारी शासन ने एक रिक्तता पैदा कर दी थी, जिसे मराठा नहीं भर सके, जिसके कारण ब्रिटिश आगे आए। अंत में उन्होंने यह भी कहा कि, औरंगजेब ने सामाजिक एकता और आस्थाओं के बीच आपसी अस्तित्व को जो घाव दिए थे, उन्हें भारत में अभी भरना बाकी है।
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