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Taliban से नहीं संभल रहा Afghanistan, रोज बह रहा है बरेलवी, दरगाह परस्त और शियों का खून

अंगूठा टेक Taliban से नहीं संभल रहा Afghanistan!

अफगानिस्तान में दरगाह परस्त, बरेलवी मुसलमानों के अलावा शिया मुसलमान आतंकियों के निशाने पर हैं। अफगान तालिबान का कहना है कि आईएसआईएस दहशतगर्दी की वारदातें कर रहे हैं। कहने का मतलब यह है कि तालिबान और आईएसआईएस में वर्चस्व की जंग शुरू हो चुकी है। तालिबान के अस्तित्व को चुनौती देते हुए आईएसआईएस लगातार शिया और बरेलवी समुदाय के मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं।

बल्ख, कुंदुज और मजार-ए-शरीफ के बाद काबुल की मस्जिद में अलविदा जुमे की नमाज अता कर रहे नमाजियों को निशाना बनाने वालों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनके लिए रोजा-रमजान से कुछ मतलब नहीं है। रमजान पवित्र महीना, मुकद्दस महीना, नमाज-जकात, दीन-दुआ-रहम-करम जैसे शब्द सिर्फ हिंदुस्तान में इस्तेमाल होते हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, यमन, फिलिस्तीन सीरिया, लीबिया, इराक हो या तुर्की इन देशों में रमजान हो या न हो यहां हिंसा और खून-खराबा हमेशा होता ही रहता है।

काबुल के सेराही अल्लाहुद्दीन इलाके में स्थित एक मस्जिद में हुआ धमाका भी इसी सिलसिले का एक धमाका है। धमाका इतना भयानक था कि मस्जिद की छत उड़ गई। कहा जा रहा है कि इस घटना में कम से कम 200 लोगों की मौत हुई है। जानकारी के मुताबिक, सेराही अल्लाहुद्दीन स्थित खलीफा साहब खानका मस्जिद में यह घटना घटी है। मस्जिद में जिस समय ये धमाका हुआ उस वक्त बड़ी संख्या में लोग नमाज के लिए इकट्ठे हुए थे।

कुछ चश्मदीदों का कहना है कि मरने वालों की संख्या और ज्यादा हो सकती है। तालिबान के इन्टीरियर मिनिस्ट्री के स्पोक्स पर्सन ने धमाके में मरने वालों की संख्या बताने से इंकार कर दिया। हालांकि यह जरूर कहा कि तालिबान के गार्ड्स ने इलाके को घेर लिया है। धमाका करने वालों की तलाश की जा रही है।

अफगान तालिबान का यह बयान रटा-रटाया है कि हमला या धमाका करने वालों की तलाश की जा रही है। जल्द ही उनका खात्मा कर दिया जाएगा, लेकिन उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं होता कि लगातार ये धमाके क्यों हो रहे हैं और ये कब तक रुकेंगे या कभी नहीं रुकेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि अफगान तालिबान पाकिस्तान में हमले करने वाले टीटीपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे इसलिए पाकिस्तान की आईएसआई बदले में अपने पालतू गुर्गों से अफगानिस्तान में धमाके करवा रही है।

इससे पहले पाकिस्तान की एयरफोर्स ने अफगानिस्ताके पूर्वी इलाके में भारी बमबारी करके 50 से ज्यादा महिला और बच्चों की हत्या कर दी थी। अफगान तालिबान ने पाकिस्तान को इसका अंजाम भुगतने की चेतावनी दी थी। तालिबान की इसी चेतावनी के बाद अफगानिस्तान में एक बार फिर मस्जिदों में धमाकों का सिलसिला शुरू हो चुका है।

इससे पहले, 20 अप्रैल को काबुल में कई स्कूल को निशाना बनाकर दहशत फैलाई गई थी। काबुल में एक स्कूल के पास कई जबरदस्त धमाके हुए। पहला धमाका मुमताज एजुकेशनल सेंटर के पास हुआ। जबकि दूसरा अब्दुल रहीम शहीद हाई स्कूल के सामने हुआ। जब यह धमाके हुए, उस समय छात्र स्कूल से बाहर निकल रहे थे।  

बीती 21 अप्रैल को भी अफगानिस्तान के तीन अलग-अलग हिस्सों में एक के बाद एक तीन धमाके हुए थे। ये तीनों धमाके काबुल, मजार शरीफ और कुंदूज में हुए थे। मजार शरीफ में एक शिया मस्जिद के अंदर धमाका हुआ था, इसमें कम से कम 30 लोगों की मौत की खबर सामने आई थी। इस ब्लास्ट की जिम्मेदारी आईएसआईएस केपी ने ली थी। ध्यान रहे तालिबान की तरह आईएसआईएस-केपी भी पाकिस्तान का पाला हुआ गैंग है। इस समय इस गैंग में 20 हजार आतंकी हैं। इनको हथियार पहले भी पाकिस्तान मुहैया करवाता था और आज भी पाकिस्तान ही दे रहा है।

गौरतलब है कि 14 अगस्त 2021 को काबुल पर कब्जा करने से पहले तालिबान और आईएसआईएस-केपी मिलकर अशरफ गनी सरकार को कमजोर करने के लिए धमाके करते रहते थे। आईएसआईस-केपी के लिए काम करने वाले आतंकियों में अधिकांश तालिबान से टूटकर आए आतंकी ही हैं। ये लोग आपसी बदला चुकाने के लिए अफगानियों खासतौर पर दरगाह परस्तों, शिया और बरेलवी फिरके के मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं।