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Killer Whales: समंदर में नावों पर हमलावर होते ह्वेल

प्रतीकात्मक फ़ोटो। नावों पर किलर व्हेल के हमले का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि व्हेल की यह प्रकृति जानवरों को अपने भोजन के लिए प्रतिस्पर्धी के रूप में देखने से जुड़ा हुई है (फ़ोचो: सौजन्य: twitter/@SaycheeseDGTL)

जब भी जानवरों के बीच कोई असामान्य व्यवहार देखा जाता है, तो वैज्ञानिक समुदाय में ख़तरे की घंटी बज जाती है।ऐसा इसलिए, क्योंकि वे इस बदलाव का कारण जानना चाहते हैं। इसका ताज़ा उदाहरण लाइवसाइंस डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार यूनाइटेड किंगडम में स्कॉटलैंड तट पर एक नौका पर ओर्का या किलर व्हेल, समुद्री डॉल्फ़िन परिवार से संबंधित एक दांतेदार व्हेल द्वारा किया गया हमला है।

दिलचस्प बात यह है कि इस तरह का व्यवहार पहले पुर्तगाली और स्पेनिश समुद्र में देखा और जाना जाता था। स्कॉटिश घटना में इस स्तनपायी ने नाव के पिछले हिस्से पर वार कर दिया और नाव पर एकमात्र व्यक्ति विम रूटन के अनुसार, ऐसा लग रहा था कि वह “मारने की तलाश” कर रहा हो।

39 की संख्या वाली इबेरियन किलर व्हेल ने 18 महीनों में तीन नावों को डुबो दिया है और 100 से अधिक को टक्कर मार दी है और उनके पतवारों को तोड़ दिया है। विद्वानों के एक समूह का मानना है कि व्हाइट ग्लेडिस – एक वयस्क मादा – नाव से दुर्घटनाग्रस्त होने या मछली पकड़ने के जाल में फंसने जैसी संकटपूर्ण स्थिति से गुज़रने के बाद नावों पर हमला करने के लिए काफी आक्रामक हो गई होगी।

इस हमले में शामिल जानवरों में 11 किशोर, व्हाइट ग्लेडिस और ग्रे ग्लेडिस, एक अन्य वयस्क नर शामिल हैं। कभी-कभी वे नावों की पतवारें तोड़कर उनका पीछा करते हैं।

इबेरियन क्षेत्र से स्कॉटलैंड तक पहुंचने वाले इन व्हेलों के व्यवहार को देखना हैरतअंगेज़ है। जीवविज्ञानी और अटलांटिक ओर्का वर्किंग ग्रुप (जीटीओए) के प्रतिनिधि अल्फ्रेडो लोपेज़ फर्नांडीज के अनुसार, यह व्यवहार उनके सामाजिक बोध के साथ फैल रहा है।

इस बारे में अपने विचार साझा करते हुए हेब्रिडियन व्हेल और डॉल्फिन ट्रस्ट के वैज्ञानिक सलाहकार कॉनर रयान ने द गार्जियन को बताया: “यह संभव है कि यह ‘सनक’ विभिन्न पॉड्स/समुदायों से तेज़ी से फैल रहा हो।”

एक या दो व्हेलों द्वारा शुरू किया गया व्यवहार दूसरों द्वारा उनके सामाजिक समझ से सीखा जाता है और फिर छोड़ दिया जाता है,इसे सनक कहा जाता है।

भले ही इबेरियन क्षेत्र और यूके के उत्तरी सागर के बीच 3,200 किलोमीटर की दूरी मौजूद है, रयान को लगता है कि “इसके पीछे अत्यधिक मोबाइल पॉड हो सकते हैं, जो इस व्यवहार को लंबी दूरी तक प्रसारित कर पाते हों”।

जीटीओए विशेषज्ञों का कहना है कि ऑर्कास का यह असामान्य आचरण मानवीय गतिविधियों से जुड़ा है। फर्नांडीज़ ने द गार्जियन को बताया, मछली पकड़ना, ध्वनि प्रदूषण और नाव यातायात, “अप्रत्यक्ष तरीक़े भी इस व्यवहार का मूल  सकते हैं।”

जीटीओए की समुद्री जीवविज्ञानी मोनिका गोंजालेज ने बताया कि नावों पर इस तरह के हमले उस घटना के कारण हो सकते हैं, जिसमें किलर व्हेल और मछली पकड़ने वाली नाव ट्यूना शिकार के दौरान शामिल रहे हों।

अटलांटिक ब्लूफिन टूना हर साल प्रजनन स्थलों से भोजन क्षेत्रों की ओर प्रवास करते समय जिब्राल्टर जलडमरूमध्य से होकर गुज़रती है और 1980 से 2010 तक उनकी अत्यधिक मछलियां पकड़ी गयी और इसने संभवतः किलर व्हेल को उन नावों से सावधान कर दिया हो, जिन्हें वे अपने भोजन की आपूर्ति और अस्तित्व के लिए ख़तरा मानते हों।

संक्षेप में गोंजालेज ने टिप्पणी की: “हमें लगता है कि अन्य ऑर्कस किशोर हैं और (व्हाइट ग्लेडिस’) व्यवहार की नकल कर रहे हैं, क्योंकि वह एक वयस्क है और वे सोचते हैं कि एक वयस्क के रूप में ‘हमें जीवित रहने के लिए ऐसा करने की ज़रूरत है’।”