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द केरला स्टोरी यूके में रिलीज़ के लिए तैयार, बहस और आशंका के बीच भारी भीड़ की उम्मीद

द केरला स्टोरी आज यूके में रिलीज होने के लिए तैयार

बहुचर्चित फ़िल्म, द केरला स्टोरी आज पूरे ब्रिटेन में कम से कम 26 सिनेमा हॉल में रिलीज होगी। फ़िल्म हिंदी में 19 स्क्रीन्स पर रिलीज हो रही है जबकि तमिल में इसे सात स्क्रीन्स पर दिखाया जायेगा। एक हफ़्ते के बाद इसे मलयालम में रिलीज़ करने की योजना है।

यूके में इस फ़िल्म की रिलीज राजधानी लंदन, बर्मिंघम, ग्लासगो, डबलिन, लीसेस्टर, लीड्स, मैनचेस्टर और कई अन्य शहरों में हो रही है। वितरण फ़र्म, 24 SEVEN FLIX4U के निदेशक सुरेश वरसानी ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि यह फ़िल्म इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड में रिलीज़ हो रही है – जहां बड़ी संख्या में एशियाई प्रवासी रहते हैं।

वर्सानी इस फ़िल्म की रिलीज के लिए लंदन में दो सिनेमा चेन से बातचीत करने में व्यस्त है, जिसने धर्मांतरण, आतंकवाद, महिलाओं के बीच कट्टरता और वैश्विक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के संवेदनशील मुद्दों के कारण काफ़ी नकारात्मक प्रचार मिला है।

वर्सानी कहते हैं: “जिन दो सिनेमा चेन से मैं बात कर रहा था, उनमें से एक अब भी बीबीसी द्वारा नकारात्मक समीक्षा के बाद इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग पर विचार कर रहा है। अन्य सिनेमा चेन आलोचनात्मक लेखन के बावजूद इसे दिखाने के लिए तैयार हो गया है। मेरा मानना है कि अगर भारतीय सेंसर ने इसे पास कर दिया है, तो इसे प्रदर्शित करने में क्या दिक़्क़त है?”

वह कहते हैं कि “लोगों ने पहले ही अपनी सीट बुक करा ली है। बुकिंग के मामले में बेहतरीन सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। हम ब्रिटिश एशियाई लोगों के लिए मुख्य रेडियो स्टेशनों में से एक – लाइका रेडियो पर इस फ़िल्म का विज्ञापन कर रहे हैं। आख़िरकार यह कुछ लड़कियों की सच्ची कहानी है। हम यहां किसी को नाराज़ करने के लिए नहीं हैं।”

 

वितरक का कहना है कि यूके में इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग करना महत्वपूर्ण है, “क्योंकि इसमें एक ऐसा संदेश है, जिसे हम चाहते हैं कि हर कोई देखे। हम नहीं चाहते कि लड़कियां आईएसआईएस जैसे संगठन के झांसे में आयें। जिस मुद्दे को द केरला स्टोरी दर्शाती है, वह ब्रिटेन में भी लड़कियों के साथ हो रहा है। तथ्य यह है कि आईएसआईएस धर्म का दुरुपयोग कर रहा है और इसलिए हम चाहते हैं कि लोग इस फ़िल्म को देखें।

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“मेरे लिए तो यह फ़िल्म समाज को एक संदेश भेज रही है कि हम अपनी बहनों और बेटियों को कट्टरपंथी होने से बचाना चाहते हैं। इससे ब्रिटेन भी काफ़ी प्रभावित हुआ है। यह यूरोप में भी हुआ है। बहुत सारी लड़कियों को आईएसआईएस ने छीन लिया है। मेरे लिए तो यह फ़िल्म एक संदेश दे रही है कि हम नहीं चाहते कि आपकी बेटियां और बहनें कट्टरपंथी बनें।

वारसानी कहते हैं कि यूके में कुछ ऐसे इलाक़े हैं, जहां द केरला स्टोरी का विरोध हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘फ़िलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग का विरोध कौन कर रहा है। व्यक्ति, समूह या शायद राजनीतिक दल हो सकते हैं, लेकिन हम निश्चित रूप से नहीं जानते कि क्या हो रहा है।”

 

ब्रिटेन में फ़िल्मों के विवादों को लेकर कुछ नयी बात नहीं

पिछले एक साल में इस देश ने फ़िल्मों को लेकर काफी संकट देखा है। एक ब्रिटिश वृत्तचित्र, ग्रूमिंग गैंग्स: ब्रिटेन्स शेम, “पाकिस्तानी पुरुषों के नेतृत्व वाले गिरोहों” द्वारा गोरी लड़कियों के बाल यौन शोषण पर अब भी समाज को क्रोधित कर रहा है, क्योंकि माना जाता है कि दुर्व्यवहार करने वाले सज़ा से बच गये, जबकि युवा ब्रिटिश लड़कियों को पीड़ित किया गया था।

 

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फ़रवरी 2022 में सुन्नी समूहों और मौलवियों ने सिनेमा हॉल द्वारा फ़िल्म, द लेडी ऑफ़ हेवन की स्क्रीनिंग का फ़ैसला करने के बाद विरोध किया गया। शिया मुस्लिम मौलवी शेख़ यासिर अल-हबीब द्वारा लिखित फ़िल्म में पैगंबर मोहम्मद की बेटी लेडी फ़ातिमा की कहानी को दर्शाया गया है। ब्रिटिश सुन्नी समूहों ने इस फ़िल्म को ईशनिंदा बताया। डर के मारे कई ब्रिटिश सिनेमा हॉल ने इस फ़िल्म को हटा दिया, जब उन्हें लगा कि सुन्नी प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाने, सिनेमाघरों पर हमला करने और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की संभावना है।

द कश्मीर फ़ाइल्स के लिए भी ऐसी ही सांप्रदायिक प्रतिक्रिया थी, जिसमें 1990 में कश्मीर में मुस्लिम अलगाववादियों द्वारा हिंदुओं की जातीय सफाई को दर्शाया गया था। इस फ़िल्म में कश्मीर में हिंदुओं द्वारा सामना किये गये आतंक और नरसंहार की सच्ची कहानियों को दर्शाया गया था। भारत में लोगों पर इस्लामवादियों ने उस समय हमला किया, जब वे फ़िल्म देखने के बाद हॉल से बाहर निकले।

केरल की कहानी केरल की हिंदू और ईसाई लड़कियों के इस्लाम में धर्मांतरित होने और आईएसआईएस के लिए लड़ने के लिए विदेश जाने के इर्द-गिर्द घूमती है। इस फ़िल्म ने भारत में धर्म परिवर्तन और आतंकवाद के बारे में एक बहस छेड़ दी है। बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे अन्य राज्यों ने इसे कर मुक्त कर दिया है।