Area 51: दुनिया में बहुत सी ऐसी चीजें हैं, जिनके बारे में कई कहानियां तो प्रचलित हैं, लेकिन हकीकत से कोई भी वाकिफ नहीं है। इस बीच अमेरिकी वायुसेना की साइट एरिया 51 (Area 51) हमेशा से रहस्य का विषय रही है। दरअसल, एरिया 51 एयरफोर्स की एक सीक्रेट साइट है जिसके बारे में किसी को कुछ नहीं मालूम है। मगर, इस जगह पर पिछले दिनों जो कुछ भी हुआ उसके बाद से सभी काफी ज्यादा हैरान है। सैटेलाइट तस्वीरों से साफ दिखाई दे रहा है कि जिस जगह पर अमेरिकी जेट रहते हैं, उसी हैंगर्स के बाहर एक बड़ी सी चीज नजर आ रही है और यह कुछ और नहीं बल्कि अमेरिकी एयरबेस है जो एकदम सूनसान है और हमेशा छिपा रहता है।
एरिया 51 क्या है?
नेवाडा के दक्षिणी हिस्से में एरिया 51 स्थित है। ये एक ऐसा बेस है, जिसे लेकर आमतौर पर कहा जाता है कि यहां पर एक्सपेरिमेंटल एयरक्राफ्ट और हथियारों की टेस्टिंग की जाती है। अमेरिकी वायुसेना ने 1955 में इसे अपना बेस बनाया। लेकिन 2013 में जाकर इस बेस की जानकारी आधिकारिक रूप से दुनिया के सामने आई। यहां पर होने वाले सभी टेस्ट को टॉप सीक्रेट कहा जाता है। कुछ लोगों का दावा है कि यहां पर एलियन स्पेसक्राफ्ट पर टेस्ट किए जाते हैं।
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एयरक्राफ्ट देख लोगों के उड़े होश
एरिया 51 नवादा के रेगिस्तान में है और यह जगह सरकार के रहस्यों और एलियन टेक्नोलॉजी की डिस्कवरी के लिए जानी जाती है। जो फोटोज सामने आई वो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इतना ही नहीं अब इन तस्वीरों पर खासी बहस शुरू हो गई है कि आखिर यहां क्या चल रहा है। एरिया 51 के रनवे एरिया पर एक एयरक्राफ्ट साफ नजर आ रहा है। यहां पर एयरक्राफ्ट की गतिविधियां कोई नई नहीं हैं। ऐसे में किसी विमान का नजर आना असाधारण बात नहीं है।
ये 1 अगस्त की तस्वीर
ट्विटर यूजर रुबेन हॉफ्स ने तस्वीरें साझा की है और हैरानी जताई कि धुंधली सी दिखाई दे रही है। यह चीज कहीं सिर्फ कोई छाया या फिर रनवे पर नमी का निशान है। साथ ही उन्होंने इस बात का भी अंदेशा जताया कि हो सकता है यह कोई ब्लैकप्रोजेक्ट हो। हालांकि हॉफ्स ने तय किया कि हो सकता है यह सिर्फ एक छाया हो। यह रहस्यमयी चीज सूनसान 2014 हैंगर के करीब नजर आई और काफी बड़ी थी।
वायुसेना का रहस्यमय एयरबेस
अमेरिकी वायुसेना और इंटेलीजेंस एजेंसी सीआईए ने सन् 1955 में इसे हासिल किया था। यहां पर लॉकहीड यू-2 एयरक्राफ्ट की टेस्टिंग होती है। इसके आसपास के इलाकों को देखकर हमेशा से ही इसे एक रहस्यमयी जगह समझा गया। 25 जून 2013 को पहली बार सीआईए ने इनफॉर्मेशन एक्ट के तहत दी गई जानकारी में इस बेस के होने की बात मानी थी।