एस.रवि
पुणे ज़िले में महाराष्ट्र के जुन्नार डिवीजन में फैले गन्ने के खेतों के साथ किसानों के लिए नवजात तेंदुए के शावकों का आ जाना असामान्य घटना नहीं है। कैलाश नगर गांव में ऐसा ही तब हुआ, जब गन्ने की फ़सल काटते समय निवासियों को एक तेंदुआ शावक मिला।
ऐसी स्थितियों से परिचित किसानों ने तुरंत वन विभाग को सूचना दे दी, जो वाइल्डलाइफ़ एसओएस के तीन सदस्यों के साथ इस शावक को बचाने में मदद करने के लिए सही स्थान पर पहुंच गए।
वहां पहुंचने पर एनजीओ के पशु चिकित्सक ने उसी स्थल पर स्वास्थ्य परीक्षण किया और पाया कि शावक नर था, जिसकी उम्र लगभग 15 दिन थी।
शाम होने के साथ ही बचाव दल का यह मक़सद था कि वह शावक को उस खेत में लौटाने की व्यवस्था करे, जहाँ उसे अपनी मां के साथ फिर से मिला दिया जाए। उन्होंने कैमरे लगाये, जिसमें मादा तेंदुए को आधी रात को धीरे-धीरे खेत में आते हुए और धीरे से अपने शावक को उससकी गर्दन से उठाकर सुरक्षित स्थान पर ले जाते हुए देखा गया।
इस घटना के बारे में बोलते हुए वाइल्डलाइफ़ एसओएस के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. चंदन सावने ने कहा: “शावक की जांच करने और यह सुनिश्चित करने के बाद कि वह बिल्कुल स्वस्थ्य है, हम मां-बच्चे के फिर से मिलाने की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए खेत में लौट आए। ऐसी स्थितियों में इस बात का ख़्याल रखा जाना ज़रूरी होता है कि शावक और मां के बीच जितना लंबा अलगाव होता है, उन्हें फिर से मिलाना उतना ही कठिन होता है।इसलिए मिलाने की समय-सीमा अहम होती है।
जुन्नार फॉरेस्ट रेंज के रेंज फॉरेस्ट ऑफ़िसर अजीत शिंदे ने ग्रामीणों की प्रशंसा करते हुए कहा: “सभी सुरक्षा उपायों के बाद हमारी टीम ने वाइल्डलाइफ़ एसओएस टीम के साथ शावक को फिर से मिलाने का काम किया। हमें ख़ुशी है कि मां ने शावक तेंदुए को सुरक्षित निकाल लिया और उसी दिन दोनों का फिर से मुलाक़ात भी हो गयी।