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गन्ने की खोई बनी Plastic का लाजवाब विकल्प, कटोरी-प्लेट ही नहीं चम्‍मच और गिलास भी…!

गन्ने का रस ही नहीं गन्ने की खोई भी बहुत कामयाब, खोई बनेगी प्लास्टिक का विकल्प

बीते दिनों सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। ऐसे में एक बार सभी लोग फिर से खुद को नई व्यवस्था के अनुरूप ढालने लगा है। बाजार में फिलहाल डिस्पोजेबल थाली, प्लेट, कटोरा इत्यादि उत्पाद पहुंचने लगे हैं। यही नहीं गन्ने की खोई से बने उत्पाद खूबसूरत और टिकाऊ होने के कारण ग्राहक ज्यादा पसंद भी करने लगे हैं। प्लास्टिक की चम्मच और कांटे के स्थान पर लकड़ी के उत्पाद विभिन्न डिजाइन में उपलब्ध होने लगे हैं। इसके अलावा ग्राहक दुकान पर पहुंचते ही सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प पर चर्चाकरते हुए नए उत्पाद देखना और खरीदना पसंद कर रहे हैं। हालांकि, बाजार में पहले से उपलब्ध कागज की थाली, प्लेट, गिलास के पांव सरकार के नए आदेश के बाद मजबूती से जमने लगे हैं।

प्लास्टिक से छुटकारा जरूरी

शहर के बड़े कारोबारी जीवन बरनवाल ने बताया की प्लास्टिक की थैली बेचे एक साल हो गए। कमोबेश थर्मोकोल के उत्पाद भी बाजार से गायब हो चुके हैं। ग्राहक भी जागरूक हुए हैं, खरीदारी से पूर्व विकल्प की चर्चा कर रहे हैं। उन्हें गन्ने की खोई से बने उत्पाद और उसकी खूबियों के बारे में बताने पर खरीद भी रहे हैं। जीवन ने कहा कि मैं खुद चाहता हूं कि ठोस रणनीति बने, सरकार अटल रहे, जिससे प्लास्टिक हमारे जीवन से दूर हो जाए। चूंकि कारोबार भी जरूर है, इसलिए सरकार को भी चाहिए कि विकल्प भी सुझाए, जिससे कारोबार भी बेपटरी न होने पाए।

वहीं चौक बाजार में दुकान सजाए मिले अशोक कुमार साहू ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक से पर्यावरण को खतरा है, तो उसे सरकार बंद कर रही। हमें क्या प्लास्टिक न सही लकड़ी के चम्मच बेच दो पैसे कमा रहा हूं। एक बात जरूर है कि अधिकारियों को एक मीटिंग कर स्पष्ट करना चाहिए कि कानून के दायरे में कौन-कौन से उत्पाद हैं। बाजार में उसका विकल्प कौन सा उत्पाद बनेगा? गन्ने की खोई और लकड़ी के उत्पाद बढ़िया तो हैं, लेकिन महंगा पड़ने से कुछ ग्राहक हिचक रहे हैं।

दुकानदारों का संदेश, शर्म छोड़िए, प्लास्टिक छोड़िए

अबकी दुकानदार भी सरकार के साथ कदम से कदम मिलाते चलते नजर आ रहे हैं। आजमगढ़ में अधिकांश दुकानों पर एक संदेश चस्पा है कि जब ग्राहक 250 ग्राम का मोबाइल और 350 ग्राम का पावर बैंक लेकर बाजार में चल सकते हैं तो 30 ग्राम कपड़े से बने झाेले को साथ क्यों नहीं रख सकते हैं। शर्म छोड़िए, प्लास्टिक छोड़िए, साथ में लाएं थैला, न करें अपने देश को मैला।