रूसी अंतरिक्ष यान ‘लूना 25’ (Luna 25) के क्रैश होने के साथ ही रूस का मून मिशन भी फेल हो चुका है। अब रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोसमोस द्वारा मिशन ‘लूना 25’ के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, मून मिशन में बने रहने की बात कही है। एजेंसी के प्रमुख ने इसी के साथ मिशन के फेल होने का कारण भी बताया है। इस मिशन (Luna 25) की विफलता के लिए उन्होंने चंद्रमा के एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम को लंबे समय से बंद रखने को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, ‘लगभग 50 वर्षों तक चंद्रमा कार्यक्रम को बाधित करना लूना-25 की विफलता का प्रमुख कारण है। हमसे पहले के लोगों ने 1960 और 1970 के दशक में जो अमून्य अनुभव अर्जित किए थे, वह कार्यक्रम में रुकावट के दौरान व्यवहारिक तौर पर खो गया था।’
50 साल बाद लॉन्च हुआ मिशन
रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोसमोस ने सोवियत संघ के समय के लगभग 50 वर्षों बाद 11 अगस्त को लूना-25 मिशन लॉन्च किया था। इसका प्रमुख लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और चांद की सतह का अध्ययन करना था। लूना-25 का लक्ष्य था कि वह भारत के चंद्रयान-3 से पहले यहां 21 अगस्त को एक सॉफ्ट लैंडिंग करे। हालांकि 21 अगस्त को प्रारंभिक विश्लेषण से पता चला कि प्री लैंडिंग ऑर्बिट में जाने के दौरान अंतरिक्ष यान एक ऐसी कक्षा में पहुंच गया जहां उसे नहीं होना चाहिए था, जिसके परिणामस्वरूप वह चांद की सतह से टकरा गया।
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बोरिसोव ने कहा, ‘स्पेसक्राफ्ट को प्रीलैंडिंग ऑर्बिट में ले जाने के लिए इंजन को 84 सेकंड तक जलना था। लेकिन यह 127 सेकंड तक चलता रहा। यह स्पेसक्राफ्ट के क्रैश का प्रमुख कारण रहा है।’ उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना के कारणों की सटीक जांच के लिए एक आयोग गठित किया गया है। बोरिसोव ने इस मिशन की लॉन्चिंग से पहले ही कहा था कि इसके सफल होने के 70 फीसदी अवसर हैं। लूना-25 के क्रैश होने के बाद अब दुनिया की निगाह चंद्रयान-3 पर है।