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MS Dhoni के अचानक टेस्ट से संन्यास को लेकर रवि शास्त्री का बड़ा खुलासा, बताए उस दिन क्या हुआ था

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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का नाम क्रिकेट इतिहास में दर्ज हो चुका है। धोनी को दुनिया के महान कप्तानों में गिना जाता है। आज की पीढ़ियां और न जाने कितनी और पीढ़ियों के माही प्रेरणादयक रहेंगे। आज के समय में बल्लेबाज धोनी के नाम का बल्ला लिए मैदान पर उतर जाते हैं इसमें भारतीय टीम में भी कई खिलाड़ी शामिल हैं। लेकिन माही ने जब 2014-15 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान अचानक टेस्ट क्रिकेट के संन्यास का ऐलान किया तो हर कोई चौक गया। उनके इस तरह के फैसले को लेकर अब सात साल बाद टीम इंडिया के मुख्य कोर रवि शास्त्री ने खुलासा किया है कि उस दिन उनके संन्यास लेने के बाद क्या हुआ था।</p>
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जब धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से सन्यास लिया तो वो अपने करियर के उच्च स्तर पर थे, उनका यह फैसला आज भी रहस्य बना हुआ है। भारतीय टीम के मुख्च कोच रवि शास्त्री भी उस समय बतौर टीम निदेशक टीम के साथ थे। शास्त्री ने कहा है कि उन्हें धोनी का फैसला बिल्कुल पसंद नहीं आया था। उन्होंने कहा है कि धोनी अपने 100 टेस्ट मैच से सिर्फ 10 मैच दूर थे और वह अभी भी सबसे फिट क्रिकेटर थे। खबरों की माने तो उन्होंने अपने किताब में इस बारे में जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि, उस समय एमएस धोनी सिर्फ भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी थे। उनके पास तीन आईसीसी ट्रॉफियां थीं जिसमें दो विश्व कप शामिल थे। साथ ही आईपीएल की ट्रॉफियां भी शामिल थीं। उनकी फॉर्म भी अच्छी चल रही थी और वह 100 टेस्ट मैच खेलने से सिर्फ 10 मैच दूर थे।</p>
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शास्त्री ने कहा कि, वह अभी भी टीम के सबसे फिट तीन खिलाड़ियों में शामिल थे। उनके पास कुछ नहीं थे अपने करियर के आंकड़े और बेहतर करने का मौका था। हां, ये सही है कि युवा नहीं होते लेकिन वे इतने बूढ़े भी नहीं थे। उनके फैसले का कोई मतलब नहीं था। शास्त्री उस वक्त टीम डायरेक्टर थे, और वह उस समय धोनी से बात कनरे के बारे में सोच रहे थे, लेकिन जब उन्होंने धोनी की आवाज में दृढ़ता देखी तो रुक गए।</p>
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रवि शास्त्री का कहना है कि, सभी क्रिकेटर कहते हैं कि लैंडमार्क और माइलस्टोंस मायने नहीं रखते लेकिन कुछ के लिए रखते हैं मैंने उनसे बात करने की कोशिश की ताकि वह अपना फैसला बदल दें, लेकिन धोनी की आवाज में दृढ़ता थी और इसी कारण मैंने बात को आगे नहीं बढ़ाया। अब मैं पीछे पलट के देखता हूं तो सोचता हूं कि उनका फैसला सही था- साथ ही बहादुर और स्वार्थ से दूर। क्रिकेट में इतनी मजबूत जगह से हट जाना वो भी इस तरह से, यह आसान नहीं होता है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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