नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा 1930 में लिखा गया एक दुर्लभ पत्र 21-22 जून को एक ऑनलाइन कला नीलामी में 21 लाख रुपये की भारी-भरकम क़ीमत पर बिका।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह राशि अपेक्षाओं से कहीं अधिक थी। यह उस पत्र के आधार मूल्य से सात गुना अधिक थी, जिसमें टैगोर ने अपनी लघु कहानियों के अंग्रेज़ी अनुवाद पर आपत्ति व्यक्त की थी। शुरुआत में इस पत्र के 3 लाख रुपये तक मिलने की उम्मीद थी, लेकिन कई बोली लगने वालों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण क़ीमत बढ़ गई।
टीओआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्यभूषण सेन को लिखे इस पत्र में टैगोर ने कहा है कि अंग्रेज़ी पाठक उनकी कहानियों को पसंद नहीं करेंगे, क्योंकि लिखने की शैली उस समय के अंग्रेज़ी लेखकों से काफ़ी अलग थी।
कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर को 1912 में लंदन में प्रकाशित अपने संग्रह गीतांजलि के लिए 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था।
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