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Seized Buddha Statue: 11वीं सदी की बुद्ध की मूर्ति बेंगलुरु से ले जायी जा रही थी डेनमार्क

सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा बेंगलुरु हवाई अड्डे पर 11वीं शताब्दी की दुर्लभ बुद्ध प्रतिमा और अन्य कलाकृतियों के साथ एक तस्कर गिरफ़्तार।

Seized Buddha Statue:सीमा शुल्क अधिकारियों ने 11वीं शताब्दी की एक दुर्लभ बुद्ध प्रतिमा और अन्य कलाकृतियों को ज़ब्त कर लिया है, जिन्हें बेंगलुरु से डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में तस्करी कर ले जाया जा रहा था।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीमा शुल्क अधिकारियों ने शहर के व्हाइटफील्ड में इनलैंड कंटेनर डिपो से बुद्ध की मूर्ति और एक प्राचीन कांस्य मुखौटा और एक लकड़ी के घोड़े सहित सात अन्य प्राचीन वस्तुओं वाली खेप को रोक लिया। यह खेप एक डेनिश नागरिक द्वारा बुक की गयी थी और इसे “समकालीन कलाकृतियाँ” बताया जा रहा था।

हालांकि, सीमा शुल्क अधिकारियों को संदेह हुआ और उन्होंने एएसआई विशेषज्ञों की मदद से मामले की जांच करने का फैसला किया। बारीकी से जांच करने पर पता चला कि बुद्ध की पत्थर की मूर्ति 11वीं सदी की एक दुर्लभ प्राचीन वस्तु थी। छलांग लगाने वाले घोड़े का कांस्य मुखौटा और लकड़ी की नक्काशी और एक आदमी और एक महिला की नक्काशी वाली ये मूर्तियां 200 साल से अधिक पुरानी है। एएसआई विशेषज्ञों का मानना है कि ये कलाकृतियां तटीय कर्नाटक की प्राचीन संस्कृति को दर्शाती हैं।

इन अमूल्य प्राचीन कलाकृतियों की तस्करी एक बड़ी समस्या रही है और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार हाल के वर्षों में इनमें से कई बहुमूल्य कलाकृतियों को देश में वापस ला चुकी है।

पीएम मोदी को उनकी हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान जो बाइडेन प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि अगले तीन से छह महीनों में अमेरिका चुरायी गयी इन 150 कलाकृतियों को वापस कर देगा।

रविवार को कर्नाटक के हम्पी में जी20 संस्कृति समूह की बैठक में ‘सांस्कृतिक संपत्ति की सुरक्षा और बहाली’ के मुद्दे पर भी चर्चा की गयी।

1970 का यूनेस्को सम्मेलन हस्ताक्षरकर्ता पक्षों को स्वेच्छा से अन्य देशों से संबंधित उन कलाकृतियों या पुरावशेषों को वापस करने का आदेश देता है, जो औपनिवेशिक लूट के कारण, या उपनिवेशवाद के बाद के दुरूपयोग जैसे तस्करी, चोरी आदि के कारण वहां ले जाये गये।