Hindi News

indianarrative

पॉल हैकर, नव-वेदांत और स्वामी विवेकानंद

अठारहवीं शताब्दी के आख़िर में भारत का सामना एक ऐसी ताक़त से हुआ,जो भारत पर धर्म की एकरेखीय अवधारणा थोपना चाहती थी…1813 के ब्रिटिश एक्ट में इस ताक़त को पूरी छूट दे दी गयी कि वह अपना प्रचार करे,भारतीयों का धर्मांतरण करे…ये ताक़त थीं…ईसाई मिशनरियां…मगर,तभी भारत ने एक बार फिर बौद्धिकता की करवट ली और इससे भारत में यूरोप और अमेरिका के धर्मांतरण चाहने वालों में बेचैनी पैदा हो गयी…बाद में इसी वौद्धिकता या दर्शन को नीयो-वेदांत या नव-वेदांत कहा गया…नव-वेदांत शब्द गढ़ने वाला कोई भारतीय नहीं, बल्कि जर्मनी का एक इंडोलॉजिस्ट यानी भारतविद, यानी भारत को गहराई से जानने का दावा करने वाला शख़्स था…