US Artificial Sun Experiment: चीन के बाद अब अमेरिका भी नकली सूरज लैब में तैयार कर लिया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब अमेरिका एक न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्शन (US Artificial Sun Experiment) को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। अमेरिका से पहले चीन ने ये सफलता हासिल की। कुछ महीनों पहले चीन ने न्यूक्लियर फ्यूजन की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की थी। हेफेई स्थित चीन के न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर से 1,056 सेकंड या करीब 17 मिनट तक 7 करोड़ डिग्री सेल्सियस ऊर्जा निकली थी। अब अमेरिका दुनिया का दूसरा ऐसा देश बनेगा जो नकली सूरज बनाने में सफल हो गया है। माना जा रहा है कि, अमेरिकी ऊर्जा विभाग (US Artificial Sun Experiment) मंगवार को आधिकारिक रूप से इशकी सफलता की घोषणा कर सकता है। न्यूक्लियर फ्यूजन को अक्सर ‘कृत्रिम सूरज’ कहा जाता है।
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अमेरिका ने भी लैब में बनाया नकली सूर्य
कैलिफोर्निया के लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी की नेशनल इग्निशन फैसिलिटी में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने यह कारनामा कर दिखाया है जिसके परिणामस्वरूप शुद्ध ऊर्जा (Clean Energy) पैदा हुई। प्रोजेक्ट से जुड़े एक सूत्र ने सीएनएन को इसकी जानकारी दी है। इस प्रयोग के नतीजे क्लीन एनर्जी के एक अनंत स्रोत को हासिल करने की दशकों लंबी खोज में एक बड़ा कदम साबित हो सकते हैं। इसकी सफलता जीवाश्म ईंधन पर मानव की निर्भरता को खत्म करने में मदद कर सकती है। दशकों से शोधकर्ता लैब में न्यूक्लियर फ्यूजन का प्रयास कर रहे हैं। वे सूर्य को ऊर्जा देने वाले फ्यूजन का उत्पादन लैब में करना चाहते थे। विभाग ने रविवार को घोषणा की थी कि अमेरिकी ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम मंगलवार को एक ‘प्रमुख वैज्ञानिक सफलता’ की घोषणा करेंगे।
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ब्रिटेन भी कर चुका है कोशिश
बता दें कि, न्यूक्लियर फ्यूजन या परमाणु संलयन तब होता है जब दो या दो से अधिक परमाणु एक बड़े परमाणु में जुड़ जाते हैं। इस प्रक्रिया में गर्मी के रूप में भारी ऊर्जा पैदा होती है। परमाणुओं के अलग होने की प्रक्रिया न्यूक्लियर फिजन या परमाणु विखंडन, जिससे पूरी दुनिया में बिजली पैदा की जाती है, में रेडियोएक्टिव कचरा पैदा होता है जबकि न्यूक्लियर फ्यूजन में ऐसा नहीं होता। वर्तमान में दुनियाभर के वैज्ञानिक एक ही लक्ष्य को हासिल करने के लिए अलग-अलग तरीकों से आगे बढ़ रहे हैं। नेशनल इग्निशन फैसिलिटी प्रोजेक्ट ने न्यूक्लियर फ्यूजन से ऊर्जा पैदा की। न्यूट्रॉन और अल्फा कणों से इकट्ठा की गई ऊर्जा को ऊष्मा के रूप में इकट्ठा किया जाता है। इसी ऊष्मा से बाद में ऊर्जा पैदा की जा सकती है। पिछले साल ब्रिटेन में कुछ वैज्ञानिकों ने निरंतर ऊर्जा की रेकॉर्ड तोड़ मात्रा पैदा की थी। हालांकि यह सिर्फ 5 सेकेंड तक ही टिक पाई थी।
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