Executions in Iran: कई ऐसे इस्लामिक देश हैं जहां पर सजा मौत से कम नहीं होती है औज फांसी के बदले ऐसी मौत दी जाती है कि हर किसी रुहें कांप उठती हैं। जिस तरह तालिबान शरिया कानून को फॉलो करता है उसी की तरह कई और इस्लामिक देश हैं। जिसमें से एक है ईरान (Executions in Iran) जहां पर इस वक्त काफी दिनों से हिजाब को लेकर भारी विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। इसी बीच ईरान में ऐसी मौत की सजा दी गई है कि, हर किसी की रूह कांप उठी है। ये सरकार के कट्टरता को दर्शाती है। दरअसल, ईरान (Executions in Iran) ने क्रेन से लटकाकर कैदी को फांसी दी है। ऐसी बेदर्द सजा चार दिन में दूसरी बार दी गई है। इशके साथ ही अन्य लोगों को भी कड़ी चेतावनी दी गई है।
क्रेन से लटकाकर दी गई फांसी
ईरान ने विरोध-प्रदर्शनों के दौरान कथित अपराधों के लिए हिरासत में लिए गए एक और कैदी को सोमवार को फांसी दे दी। अन्य लोगों को कड़ी चेतावनी देते हुए कैदी को सरेआम क्रेन से लटका दिया गया। ईरान सरकार द्वारा देश में व्यापक स्तर पर जारी प्रदर्शनों के बीच हिरासत में लिए गए किसी कैदी को फांसी दिए जाने का यह दूसरा मामला है। ईरान की समाचार एजेंसी ‘मिज़ान’ के अनुसार, मजीद रज़ा रहनवार्द को फांसी दी गई। उसे मशहद (शिया शहर) में 17 नवंबर को सुरक्षा बल के दो जवानों की चाकू मारकर हत्या करने का दोषी ठहराया गया था।
गिरफ्तार होने के सिर्फ एक महीने फांसी की सजा
मजीद रज़ा रहनवार्द सिर्फ एक महीने के भीतर ही फांसी दी गई है, इससे ये पता चलता है कि, ईरान द्वारा प्रदर्शनकारियों को फांसी दिये जाने की कार्रवाई में तेजी ला दी है। यानी कि प्रदर्शन रोकने के लिए अब ईरान सरकार इस तरह की घटिया कदम उठा रही है। कार्यकर्ताओं ने आगाह किया कि प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए अब तक करीब 12 लोगों को बंद कमरे की सुनवाई में मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। प्रदर्शनों पर नजर रख रहे ईरान के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार, सितंबर के मध्य में प्रदर्शनों के शुरू होने के बाद से अभी तक कम से कम 488 लोग मारे गए हैं। वहीं अन्य 18,200 लोगों को अधिकारियों ने हिरासत में लिया है।
हांथ-पैर बांद कर क्रेन से लटका दिया गया
मजीद रजा को क्रेन से लटका गया, उसके हाथ पैर बांधे गये और सिर पर काला थैला डाला गया। एक सामने आये वीडियो में, एक अन्य व्यक्ति का पीछा करता, फिर उसके नीचे गिर जाने पर उसे चाकू मारता दिख रहा है। इसके बाद हमलावर मौके से भागता भी नजर आया। मिजाज की खबर में म़तक की पहचान ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के एक अर्धसैनिक स्वयंसेवक तथा छात्र बासीज़ के तौर पर की है। बासीज़ को प्रमुख शहरों में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के लिए तैनात किया गया था। मजीद रज़ा रहनवार्द ने हमले करने के लिए कोई मकसद नहीं बताया। खबर में दावा किया गया कि रहनवार्द को जब गिरफ्तार किया गया, तब वह विदेश भागने की तैयारी में था। मिज़ान के अनुसार, रहनवार्द को मशहद के रिवोल्यूशनरी कोर्ट ने दोषी ठहराया था। इस फैसले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की गई है क्योंकि वहां जिन लोगों पर मुकदमे चलाए जा रहे हैं उन्हें अपने लिए वकील चुनने नहीं दिया जा रहा। यहां तक कि उन्हें उनके खिलाफ मौजूद सबूत देखने की अनुमति भी नहीं है।
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