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भारत के चंगुल में राणा: अमेरिकी अदालत ने दी 26/11 हमले के आरोपी को भारत प्रत्यर्पण की मंज़ूरी

अमेरिका की एक अदालत ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में शामिल होने के आरोप में तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंज़ूरी दे दी है (फ़ोटो: ANI)

अमेरिका की एक अदालत ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंज़ूरी दे दी है। 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में उसकी संलिप्तता के लिए उसकी तलाश की जा रही है।

राणा को इन हमलों में उसकी भूमिका के लिए भारत द्वारा प्रत्यर्पण अनुरोध पर अमेरिका में गिरफ़्तार किया गया था, जिसमें 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई के प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण स्थानों पर छह अमेरिकियों सहित 160 से अधिक लोगों पर हमला किया था और 160 से अधिक लोगों को मार डाला था।अमेरिकी अदालत ने उसके प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी सरकार के माध्यम से भारतीय अनुरोध पर सहमति व्यक्त की थी।

यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ऑफ़ कैलिफोर्निया के यूएस मजिस्ट्रेट जज जैकलीन चूलजियान ने कहा, “अदालत ने किये गये अनुरोध के समर्थन और विरोध में प्रस्तुत सभी दस्तावेज़ों की समीक्षा की है और सुनवाई में प्रस्तुत तर्कों पर विचार किया है।” 16 मई का 48 पेज का यह कोर्ट ऑर्डर बुधवार को जारी किया गया था।

न्यायाधीश ने अपने आदेश में लिखा,”इस तरह की समीक्षा और विचार के आधार पर और यहां चर्चा किए गए उद्देश्य के लिए यह न्यायालय नीचे दिए गए निष्कर्षों को सामने रखता है और संयुक्त राज्य अमेरिका के सचिव को प्रमाणित करता है कि आरोपित अपराधों पर राणा की प्रत्यर्पण पात्रता अनुरोध का विषय है।”

तहव्वुर राणा पर भारत सरकार द्वारा उसके बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली, जिसे “दाउद गिलानी” के रूप में भी जाना जाता है, और अन्य लोगों के साथ मिलकर मुंबई में लश्कर आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उसे अंजाम देने का आरोप लगाया गया है।

 

न्यायाधीश के अनुसार, भारत ने राणा पर निम्नलिखित अपराधों का आरोप लगाया है और गिरफ़्तारी वारंट जारी किया है, जिस पर अब अमेरिका भी कार्यवाही कर रहा है: (A) युद्ध छेड़ने, हत्या करने, धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाज़ी करने की साज़िश जाली दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को वास्तविक रूप में उपयोग करना, और आतंकवादी कार्य करना (B) युद्ध छेड़ना, (C) हत्या करना, (D) आतंकवादी कार्य करना और (E) आतंकवादी कार्य करने की साज़िश करना।

राणा को 2011 में शिकागो में पाकिस्तान स्थित उस आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा को सामग्री सहायता प्रदान करने, जिसने मुंबई आतंकवादी हमले की योजना बनाई थी और डेनमार्क के उस अख़बार पर हमला करने के लिए कभी न पूरी होने वाली साज़िश का समर्थन करने का दोषी ठहराया गया था, जिसने 2005 में पैग़म्बर मुहम्मद के कार्टून छापे थे।

उस पर डेविड कोलमैन हेडली को मुंबई में अपने शिकागो स्थित आव्रजन क़ानून व्यवसाय की एक शाखा खोलने और डेनमार्क में कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में यात्रा करने की अनुमति दिलवाने का आरोप था।

दूसरी ओर राणा के वकील ने प्रत्यर्पण का विरोध किया था। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक प्रत्यर्पण समझौता प्रभावी है। न्यायाधीश ने तय किया है कि तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण, संधि के अधिकार क्षेत्र के तहत है।

न्यायाधीश ने फ़ैसला सुनाया कि इस बात के उचित कारण स्थापित करने के लिए पर्याप्त सक्षम सबूत हैं कि राणा भारत में आरोपी व्यक्ति है। न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि राणा उन अपराधों के लिए प्रत्यर्पण योग्य है, जिसके लिए प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है और जिस पर संयुक्त राज्य अमेरिका कार्यवाही कर रहा है।

न्यायाधीश ने फ़ैसला सुनाया, “इसलिए यह आदेश दिया जाता है कि तहव्वुर हुसैन राणा संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्शल की हिरासत में रहने के लिए प्रतिबद्ध है और उन अपराधों के परीक्षण के लिए भारत के राज्य सचिव द्वारा प्रत्यर्पण और आत्मसमर्पण पर अंतिम निर्णय लंबित है, जिसके अनुसार प्रत्यर्पण दिया गया है।”

26 नवंबर, 2008 को मुंबई उस समय थर्रा गया था, जब पाकिस्तान से समुद्री रास्ते से शहर में प्रवेश करने वाले लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के 10 आतंकवादियों ने समन्वित गोलीबारी और बम विस्फोटों की एक श्रृंखला को अंजाम दिया था, जिसमें 300 से अधिक लोग घायल हो गये थे और 166 लोग लोगों की जान चली गयी थीं।

ये हमले छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) रेलवे स्टेशन, कामा अस्पताल, नरीमन हाउस के व्यावसायिक और आवासीय परिसर, लियोपोल्ड कैफ़े, ताज होटल एंड टॉवर और ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल में हुए थे।