Hindi News

indianarrative

रूस की Afghanistan में एंट्री होते ही अमेरिका ने इस यूरोपीयन देश को कहा तुरंत जाओ और तालिबान से कहो कि…

Afghanistan में रूस की एंट्री होते ही भागते हुए आया ये EU देश

यूक्रेन पर जारी जंग के बीच रूस लगातार पश्चिमी देशों को भी झटका दे रहा है। एक महीने से ज्यादे से चल रहे इस जंग में यूक्रेन को भारी नुकसान हुआ है लेकिन, पश्चिमी देशों के बहकावे में आकर जेलेंस्की खुद के देश को बर्बाद कर रहे हैं। इस बीच रूस ने तालिबान की ओर से नियुक्त पहले राजनयिक को मान्यता प्रदान कर दी है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अफगानस्तिान की तालिबान सरकार द्वारा नियुक्त पहले राजनयिक को रूस की ओर से मान्यता दे दी गई है। इससे नाटो देशों को बड़ा झटका लगा है। रूस के इस कदम के बाद अब यूरोपीयन यूनियन भी अफगानिस्तान को लेकर एक्टिव हो गया है।

दरअसल, विभिन्न देशों ने अफगानिस्तान को 2.44 अरब डॉलर की सहायता देने का वादा किया है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि पैसा सीधे सहायता एजेंसियों को जाएगा, तालिबान को नहीं। अब जर्मन ने कहा है कि वो अफगानिस्तान की मदद करेगा। जर्मनी के विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने कहा कि जर्मनी अफगानिस्तान को अतिरिक्त मानवीय सहायता के रूप में 22 करोड़ डॉलर दान करेगा। गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित एक वर्चुअल सम्मेलन में, जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता में अतिरिक्त 22 करोड़ डॉलर देने की घोषणा की है।

सम्मेलन के अंत तक 41 देशों ने कुल 2.44 अरब डॉलर सहायता देने का वादा किया। बेयरबॉक ने कहा कि, अफगानिस्तान जिस मानवीय संकट से गुजर रहा है, वह दुनिया के सबसे गंभीर संकटों में से एक है। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि बर्लिन से मानवीय सहायता से परे अन्य सहायता की प्रतिबद्धता सरकार के कार्यों पर निर्भर है। वहीं. संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान की मदद के लिए 4 अरब डॉलर इकट्ठा करने की उम्मीद की थी, यह किसी एक सम्मेलन में किसी एक देश के लिए सहायता की अब तक की सबसे बड़ी प्रतिज्ञा है।

इधर चीन भी अफगानिस्तान में अपनी नजरे गड़ाए बैठा हुआ है। चीन की नजर अफगानिस्तान के खनीज भंडारों पर है। हाल ही में चीन के विदेश मंत्री यांग यी पाकिस्तान दौरे के बाद अचानक अफगानिस्तान दौरे पर पहुंच गए। जहां उन्होंने तालिबानी मंत्रियों से मुलाकात की। अफगानिस्तान में बैटरी बनाने में जरूरत पड़ने वाली लिथियम का भंडार है और चीन का इसी पर नजर है।