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आखिर कैसे और क्यों Taliban को मान्यता दे दुनिया, औरतों के बाद अब तो बच्चियों को भी…

आखिर कैसे और क्यों Taliban को मान्यता दे दुनिया

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जा के बाद से ही लाखों लोगों ने अपना सबकुछ छोड़कर दूसरे देश में पलायन कर गए। अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद अगर सबसे ज्यादा किसी की दुर्दशा हुई और हो रही है तो वो हैं औरतें। औरतों की जिंदगी तालिबान ने एक बार फिर से नर्क बना दिया है। तालिबान राज के बाद महिलाएं छोटे कपड़े तो दूर पश्चिमी देशों के कपड़े नहीं पहन सकती। बुर्का अनिवार्य है। साथ ही कई तरह की चीजों पर पाबंदियां लगी हुई हैं। अब तालिबान ने अफगानिस्तान में लड़कियों के माध्यमिक स्कूलों को बंद करा दिया है।

तालिबान दुनिया से लगातार गुहार लगा रहा है कि उसकी सरकार को अंतराष्ट्रीय मान्यता दी जाए। लेकिन, तालिबान अपनी किसी भी बात पर खरा नहीं उतरा है। वो लगातार छूठ बोल रहा है कि वह लोगों के हितों में काम कर रहा है। अफगानिस्तान में लड़कियों के माध्यमिक स्कूलों को खोलने के कुछ ही घंटों बाद तालिबान ने अंचानक ही बंद करने का आदेश जारी कर दिया। कट्टरपंथी इस्लामी समूह द्वारा नीति उलटने पर अब भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। समाचार एजेंसी एएफपी ने जब तालिबान के प्रवक्ता इनामुल्लाह समांगानी से इस बारे में पूछा कि क्या लड़कियों को स्कूलों से घर जाने का आदेश दिया गया है तो उन्होंने कहा, हां, यह सच है एएफपी की एक टीम जरघोना हाईस्कूल के पास वीडियो बना रही थी, तब एक शिक्षक ने सभी छात्राओं को घर जाने का आदेश दिया।

पिछले साल अगस्त में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद पहली बार कक्षा में वापस आईं छात्राओं ने अपना बस्ता समेटा और आंसुओं के साथ घर की ओर लौट गईं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने नए तालिबान शासन की सहायता और मान्यता पर बातचीत में सभी के लिए शिक्षा के अधिकार को बातचीत के मुख्य बिंदु में रखा है। तालिबान के प्रवक्ता समांगानी ने तत्काल स्कूलों को बंद करने का कारण नहीं बताया। इस बीच शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता अजीज अहमद रायन ने कहा, हमें इस पर टिप्पणी करने की इजाजत नहीं है। वहीं, स्कूलों के बंद के आदेश के बाद बच्चियों के आंखों में आंसू था उन्हें रोता हुआ देखा गया।