रूस ने हाल में ही पुष्टि की है कि उसने एशिया के एक और देश को सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमानों (SU-30 Fighter Jet) की पहली खेप सौंपी है। इस विमान के अलग-अलग वेरिएंट पहले से ही चीनी और भारतीय वायु सेना में शामिल हैं। भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल्स लिमिटेड लाइसेंस के तहत रूसी सुखोई एसयू-30एमकेआई विमान का उत्पादन भी करती है। इसके अलावा सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमान मलेशिया, वेनेजुएला, अल्जीरिया, युगांडा, इंडोनेशिया, अंगोला, वियतनाम, कजाकिस्तान, आर्मेनिया और बेलारूस की वायु सेनाओं में तैनात हैं।
रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी आरआईए ने बताया कि म्यांमार को दो रूसी Su-30 लड़ाकू विमानों (SU-30 Fighter Jet)की पहली खेप प्राप्त हुई है। म्यांमार के व्यापार मंत्री चार्ली थान ने भी रूस से लड़ाकू विमान मिलने की पुष्टि की है। थान ने रूस में आयोजित ईस्टर्न इकॉनमिक फोरम के मौके पर आरआईए को बताया कि दो विमान पहले ही सौंपे जा चुके हैं। ईस्टर्न इकॉनमिक फोरम रूस का वार्षिक आयोजन है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में आर्थिक सहयोग विकसित करना और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना है। यह आयोजन रविवार को व्लादिवोस्तोक के बंदरगाह में शुरू हो रहा है।
म्यांमार ने 2022 में रूस से की थी डील
आरआईए ने कहा कि रूस और म्यांमार ने छह Su-30SME लड़ाकू विमानों की डिलीवरी के लिए सितंबर 2022 में एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। रूस के सरकारी हथियार निर्यातक रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के अनुसार, सुखोई Su-30SME मल्टी-रोल फाइटर जेट को दुश्मन के हवाई लक्ष्यों पर हमला करने, हवाई टोही मिशन को अंजाम देने, लड़ाकू पेट्रोल और पायलट को ट्रेनिंग देने के लिए डिजाइन किया गया है।
म्यांमार को रूसी हथियारों की सप्लाई पर बौखलाया अमेरिका
थान ने एक और रूसी समाचार एजेंसी TASS को बताया कि ईस्ट इकोनॉमिक फोरम में दोनों देशों के बीच पर्यटन के विकास सहित कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। रूसी रक्षा मंत्रालय ने टिप्पणी के लिए रॉयटर्स के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया। इधर अमेरिका ने चेतावनी दी है कि म्यांमार के सैन्य शासकों को रूस का समर्थन अस्वीकार्य और अस्थिर करने वाला है, इसके हथियारों की आपूर्ति से संघर्ष को बढ़ावा देने में मदद मिलती है जो देश के लिए एक आपदा बन गया है।
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