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Russia Ukraine War: जर्मनी के बाद एक्शन में ब्रिटेन, शुरू किया रूस पर प्रतिबंधों का एलान- लगाईं ये सख्त पाबंदियां

जर्मनी के बाद एक्शन में ब्रिटेन

अमेरिका और पश्चिमी देश लगातार रूस को यूक्रेन पर हमला न करने की चेतावनी दे रहे थे। लेकिन रूस ने एक न सुनी और यूक्रेन पर हमला कर दिया है। अमेरिका और बाकी नाटो देश लगातार कहते आए हैं कि अगर यूक्रेन पर रूस ने हमला किया तो वो उसपर सख्त प्रतिबंधों लगा देंगे जिससे उसकी अर्थव्वस्था के साथ कई चीजों पर फर्क पड़ेगा। ऐसे में अब जर्मनी के बाद ब्रिटेन भी ऐक्शन में आते हुए रूस पर प्रतिबंधों का एलान कर दिया है।

ब्रिटेन ने कहा लगा देंगे प्रतिबंधों की झड़ी

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में पश्चिमी देशों ने पुतिन के कदमों पर नाराजगी जाहिर की है। डोनेत्स्क और लुहांस्क में सेना भेजने के रूस के एलान के बाद भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को कहा कि उनका देश आर्थिक प्रतिबंधों की पहली बमबारी करके रूस को निशाना बनाएगा। उन्होंने आगाह किया है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के खिलाफ पूर्ण युद्ध शुरू करने को लेकर अड़े हुए हैं। जॉनसन ने कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून को तार-तार कर दिया है इसलिए वह तुरंत आर्थिक प्रतिबंध लाएंगे। पहले चरण के तहत ब्रिटेन ने रूस के पांच बैंकों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा तीन ऊंची नेटवर्थ वाले लोगों पर भी प्रति बंधों का एलान किया है।

जर्मनी ने रद्द किया नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना

इधर जर्मनी ने अहम नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना को रद्द करने का फैसला किया है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने मंगलवार को रूस के साथ जारी अपनी अहम हम नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना को रद्द करने का फैसला किया है। रूस इस परियोजना के जरिए जर्मनी को अपनी तेल-गैस की सप्लाई दोगुनी करने वाला था और इससे पुतिन सरकार की आर्थिक स्थिति बेहतर होने की संभावना थी। इस परियोजना को रद्द करते हुए जर्मनी ने कहा है कि, वह यूक्रेन के खिलाफ रूस की कार्रवाई का सख्त विरोध करता है। चांसलर शोल्ज ने कहा कि रूस का बतचीत की मेज पर लौटना जरूरी है और इस तरह के एकतरफा फैसलों को रोकना पूरी दुनिया की जरूरत है।

क्यों रूस के लिए अहम है नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना

बता दें कि, नॉर्ड स्ट्रीम 1200 किमी लंबी पाइपलाइन है। यह बाल्टिक सागर से होते हुए पश्चिमी रूस से उत्तर-पूर्वी जर्मनी तक जाती है। जर्मनी इस पाइपलाइन प्रोजेक्ट के जरिए रूस से मिलने वाली प्राकृतिक गैस की सप्लाई दोगुनी करना चाहता है। 2.83 हजार करोड़ रुपए के लागत से निर्मित इस पाइपलाइन का काम सितंबर 2021 में पूरा हो गया था। लेकिन, अभी भी कुछ अहम मंजूरी मिलनी बाकी है, जिसके चलते पाइपलाइन का उद्घाटन नहीं हो सका। अगर इस पाइपलाइ से रूस ने जर्मनी को गैस की सप्लाई शुरू कर दी तो इसे पुतिन की बड़ी कूटनीतिक चाल के तौर पर देखा जाएगा। रूस फिलहाल यूरोप की कुल ऊर्जा जरूरतों (तेल-गैस) का 49 फीसदी से ज्यादा सप्लाई करता है।