US warns to Zelensky: रूस को यूक्रेन (Russia Ukraine War) पर हमला बोले अब 9 महीने होने जा रहे हैं और इसके साथ ही दुनिया अब किसी भी हाल में इस युद्ध की समाप्ति चाहती है। जिसके लिए भारत पर भरोसा जताया जा रहा है। क्योंकि, भारत लगातार दोनों देशों से शांति की अपील कर रही है साथ ही इंडिया और रूस के संबंध काफी गहरे हैं। ऐसे में दुनिया चाह रही है कि, भारत इस जंग को खत्म करवाने में अहम भूमिका निभाये। यूक्रेन को पूरी तरह से पश्चिमी देशों (US warns to Zelensky) का समर्थन प्राप्त है। वो उन्हीं के दम पर ये जंग लड़ रहा है। ऐसे में यूक्रेन को हथियार देते-देते पश्चिमी देशों का खजाना खाली हो रहा है। इधर पुतिन ने परमाणु हमले की चेतावनी दे दी है। जिसके बाद यूक्रेन के ऊपर अमेरिका भन्ना उठा है। जिस अमेरिका के दम पर जेलेंस्की ये जंग लड़ रहे थे वही उन्हें चेतावनी दे (US warns to Zelensky) दिया है कि, शांति के लिए वो खुद आएगे आए। दरअसल, क्यूबा मिसाइल संकट के बाद इस सबसे बड़े खतरे से अमेरिका अब टेंशन में आ गया है और यूक्रेन की सरकार को चेतावनी दी है कि वे रूस (US warns to Zelensky) के साथ बातचीत के लिए खुद को तैयार करें। अमेरिका ने कहा कि हमारे सहयोगी ‘यूक्रेन की थकावट’ के चपेट में आ सकते हैं।
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जंग खत्म करवाने के लिए भारत की ओर ताक रही दुनिया
इन सबके बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इस वक्त रूस दौरे पर हैं, जिसपर पूरी दुनिया की नजर है। अब पश्चिमी विशेषज्ञ और मीडिया भी कहने लगे हैं कि, भारत इस जंग को रोकने और युद्धरत दोनों ही दोस्त देशों के बीच समझौता कराने में अहम भूमिका निभा सकता है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ सी राजामोहन का मानना है कि भारत की यूक्रेन नीति की पश्चिमी देशों और मीडिया में पिछले दिनों काफी आलोचना हुई थी लेकिन अब तारीफ होना नई दिल्ली के लिए काफी सुखद है। पिछले 9 महीने में भारत ने रूस के यूक्रेन पर हमले की आलोचना नहीं की है। भारत ने हमेशा से ही दोनों पक्षों के बीच बातचीत का समर्थन किया है। वहीं भारत ने रूस के हमले का समर्थन भी नहीं किया है। साथ अपने दोस्त को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर को मानने और क्षेत्रीय संप्रभुता का सम्मान करने की नसीहत दी है। भारत के इस रुख के बाद अब पश्चिमी मीडिया का कहना है कि नई दिल्ली इस संघर्ष को खत्म कराने में अहम भूमिका निभा सकता है।
अमेरिका भी भारत से चाहता है मदद
अमेरिका मीडिया का कहना है कि, भारत ने पिछले 9 महीने की लड़ाई के कई जटिल मौकों पर अहम योगदान दिया है। इसमें यूक्रेन के साथ अनाज आपूर्ति समझौता और परमाणु बिजली घर जापारिझझिआ पर हमले के खतरे को कम करना शामिल है। भारत बड़ी राजनयिक भूमिका निभा सकता है कि नहीं, इसपर राजामोहन कहते हैं कि भारत के अमेरिका और रूस के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं जिससे वह एक रोचक स्थिति में है। लेकिन भारत रूस और अमेरिका के बीच संपर्क का एकमात्र जरिया नहीं है। रूस और अमेरिका दोनों ही तीसरे पक्ष पर निर्भर नहीं हैं।
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अमेरिका संग यूक्रेन की बगावत
दरअसल, पश्चिमी देशों को उम्मीद थी कि रूस प्रतिबंधों की मार से झुक जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यही वजह है कि अमेरिका ने जेलेंस्की की सरकार से साफ कह दिया है कि वह रूस के साथ बातचीत करे। उधर, जेलेंस्की ने कहा है कि वह तभी रूस से बातचीत करेंगे जब रूसी सेना यूक्रेन के सभी इलाकों से पीछे हट जाएं। साथ जिन लोगों ने अपराध किया है, उनके खिलाफ मुकदमा चले। जेलेंस्की ने यह भी कहा कि वह पुतिन के साथ बातचीत नहीं करेंगे। ऐसे में अब पुतिन साफ तौर पर अमेरिका से बगावत कर रहे हैं। वो उस अमेरिका से बगावत कर रहे हैं जिसने इस जंग के लिए करीब 19 अरब डॉलर की सैन्य और अन्य तरह से मदद दी है।
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