विश्व मंच पर जब भी मौका मिलता है तो पाकिस्तान बेशर्म की तरह उस कश्मीर पर झूठ फैलाने की कोशिश करता है जहां पर विकास तेजी से हो रहा है, जहां के युवा जेहाद का रास्ता छोड़ अपने भविष्य पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। जहां के युवाओं ने अपने हाथों में बंदूकों की जगह कलम को थाम लिया है। जहां पर केंद्र सरकार कई सारी योजनाओं के जरिए युवाओं को रोजगार दे रही है। जब-जब पाकिस्तान कश्मीर के नाम पर गला फाड़ा है तब-तब उसे मुंह की खानी पड़ी है। क्योंकि, पूरी दुनिया को पता है कि जम्मू-कश्मीर में युवाओं के हित में तेजी से काम हो रहा है। आज कश्मीर में अच्छे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल से लेकर हर वो चीज है जो युवाओं के उज्जवल भविष्य और आम जनता के लिए जरूरी है। लेकिन, बलूचिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जो हालत है वो दुनिया से छुपी नहीं है। यहां न ही बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए ढंग का स्कूल है न ही युवाओं के लिए कॉलेज। यहां तक कि अस्पालत तक नहीं है। यहां कुछ है तो पाकिस्तान का आतंक। दूसरी ओर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कम होने का नाम नहीं ले रहा है। यहां हिंदु, ईसाई, सिखों पर आए दिन हमले होते हैं। बहन-बेटियों का जबर धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम लड़के से निकाह करने पर मजबूर किया जाता है। अब पाकिस्तान की इन्हीं हरकतों पर अमेरिका एक्शन में आता दिख रहा है।
दरअसल, अमेरिका में न्यूयॉर्क शहर के एक सांसद ने पाकिस्तान में सिंधी लोगों पर वर्षों से किए जा रहे मानवाधिकार हनन के खिलाफ मजबूत समर्थन दिया है। अमेरिकी संसद में प्रतिनिधि कैरोलिन मैलोनी ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में इस समुदाय के हालात पर चिंता भी जताई। मैलोनी ने पिछले सप्ताह पाकिस्तान के तीसरे सबसे बड़े सिंध प्रांत में हो रहे मानवाधिकारों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने संसद में कहा कि यहां पर सिंधी समुदाय खुद को अनुचित सरकारी जांच में फंसा हुआ पा रहा है।
उन्होंने कहा है कि, अमेरिका के लिए शायद दुनिया में कट्टरपंथ के खिलाफ संघर्ष में कोई भी इतना महत्वपूर्ण नहीं जितना पाकिस्तान के साथ सार्वजनिक कूटनीति को बनाते हुए कट्टरपंथियों का विरोध जारी करना। यहां सिंधी समुदाय के लोग मानवाधिकारों के लिए सम्मान के पात्रा हैं, चाहे वे किसी भी पंथ या आस्था के हों। मैं आग्रह करती हूं कि उनके मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए। उन्होंने अपने संबोधन में अमेरिकी सांसदों ने बताया कि, सिंधी व्यक्ति जो पाकिस्तान की सरकार के उच्छ पदों पर मौजूद हैं, उनके ऊपर कोई अपराध का केस लगाकर लंबे समय तक जेल में डाल दिया जाता है। 2022 तक पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय में एक भी सिंधी भाषी न्यायाधीश नहीं रहा। जबकि सिंधी समुदाय को यहां ईशनिंदा, पिटाई, उत्पीड़न और जबरन गायब होने जैसे कई अपराधों में घोर अमानवीय यातनाएं दी जाती हैं।