अर्जेंटीना (Argentina) के पायलटों ने भारत के एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर को उड़ाकर इसकी ताकत जांचने का काम किया है। अर्जेंटीना के पायलटों ने एएलएच ध्रुव के एमके III और एमके IV वेरिएंट्स को टेस्ट किया है। संभावना है कि अर्जेंटीना इन दोनों वेरिएंट्स में से किसी एक की खरीद को मंजूरी दे सकता है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के लिए इक्वाडोर से मिले झटके की भरपाई के तौर पर भी देखा जा रहा है। इससे कुछ महीने पहले अर्जेंटीना के पायलटों ने भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरी थी।
उड़ाया ध्रुव हेलीकॉप्टर
यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अर्जेंटीना सेना की एक टीम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बैंगलोर प्लांट में एएलएच ध्रुव मार्क III और मार्क IV को उड़ाया है। सूत्रों ने कहा कि यह एक ग्राहक के लिए किया गया प्रदर्शन नहीं था, बल्कि इसे अर्जेंटीना के पायलटों ने खुद उड़ाया। टीम हेलीकॉप्टरों के प्रदर्शन से बहुत संतुष्ट थी। अर्जेंटीना एएलएच ध्रुव के 20 यूनिट का ऑर्डर देने पर विचार कर रहा है। दुनिया के आठवें सबसे बड़े देश अर्जेंटीना को अपने पर्वतीय क्षेत्र की सुरक्षा के लिए हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टरों की आवश्यकता है। अर्जेंटीना की वायुशक्ति उसके क्षेत्र के विस्तार के अनुरूप नहीं है। अर्जेंटीना की वायु सेना, सेना और नौसेना कुल मिलकर कुल 95 हेलीकॉप्टर संचालित करती हैं, जिनके बेड़े की औसत आयु 44.3 वर्ष है।
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इक्वाडोर से लगा झटका
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर को सबसे पहले इक्वाडोर को निर्यात किया था। यह लैटिन अमेरिका में भारत का पहला रक्षा निर्यात भी था। उस वक्त एचएएल ने एल्बिट, यूरोकॉप्टर और कजान जैसी दिग्गज कंपनियों को पछाड़कर इक्वाडोरियन वायु सेना (ईएएफ) से सात ध्रुव हेलीकॉप्टरों का ऑर्डर हासिल किया था। एचएएल ने 50.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर की बोली लगाई थी जो कि एल्बिट की दूसरी सबसे कम बोली से लगभग 32 प्रतिशत कम थी। फरवरी 2009 में इक्वाडोर को ध्रुव हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी शुरू की गई। एचएएल ने दुर्घटना जांच में सहायता की, जिसमें इसका कारण पायलट की गलती पाई गई। फरवरी 2011 में बताया गया कि इक्वाडोर की सेना ध्रुव के प्रदर्शन से संतुष्ट है। अक्टूबर 2015 तक इक्वाडोर के कुल चार ध्रुव हेलीकॉप्टर कथित तौर पर तकनीकी कारणों से दुर्घटनाग्रस्त हो गए। इससे इक्वाडोर ने अपने सभी ध्रुव हेलीकॉप्टरों को ग्राउंडेड कर दिया और अक्टूबर 2015 में भारत के साथ अनुबंध को रद्द कर दिया।
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