Arms Shortage In Europe: यूक्रेन के साथ में पूरे पश्चिमी देश हैं। दुनिया का सबसे पॉवरफुल देश अमेरिका और उसके साथ सारे नाटो देश मिलकर रूस को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, इसके बाद भी वो इसमें विफल रहे हैं। रूस अकेला इन सारे पश्चिमी देशों को हराने में कामयाब हो रहा है। खबरों की माने तो, यूक्रेन के चक्कर में फंस कर यूरोप बरबाद (Arms Shortage In Europe) हो गये हैं। यूक्रेन को हथियार देते-देते यूरोपीय देशों के अपने शस्त्रागार खाली (Arms Shortage In Europe) हो गया है। ऐसे में अब यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। कहां तो पश्चिमी देश रूस को हराने चले थे कहां वो ही बरबाद होते जा रहे हैं।
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य़ूक्रेन की मदद कर रो रहा NATO
विशेषज्ञों की माने तो, पूरे यूरोप में हथियारों की कमी यूक्रेन के सहयोगियों के लिए समस्या पैदा कर सकती है। ऐसे में यूरोपीय देश अब अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यूक्रेन के प्रति अपने सहयोग को संतुलित कर रहे हैं। पिछले कई महीनों से अमेरिका और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य देशों ने अरबों डॉलर मूल्य के हथियार और सैन्य उपकरण यूक्रेन में भेजे हैं, ताकि उसे रूस का मुकाबला करने में मदद मिल सके।
यूक्रेन को हथियार देकर बरबाद हुए पश्चिमी देश
नाटो के कई छोटे देशों और यहां तक कि कुछ बड़े देशों के लिए युद्ध ने पहले से ही कम हथियारों के जखीरे को और घटा दिया है। कुछ सहयोगियों ने अपने सारे सोवियत कालीन रिजर्व हथियार यूक्रेन भेज दिये हैं और अब अमेरिका से उसकी पूर्ति होने की उम्मीद कर रहे हैं। कुछ यूरोपीय देशों के लिए फिर से आपूर्ति बहाल करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि उनके पास हथियार निर्माण के लिए मजबूत रक्षा क्षेत्र नहीं है। उनमें से कई देश अमेरिकी रक्षा उद्योग पर निर्भर हैं। अब वे दुविधा का सामना कर रहे हैं: क्या वे यूक्रेन को हथियार भेजना जारी रखेंगे। यह एक कठिन सवाल है।
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नाटो को महंगा पड़ रहा यूक्रेन का मदद करना
अमेरिका और पश्चिमी देश यूक्रेन की मदद रूस को हराने के लिए कर रहे हैं। उनका टार्गेट है कि किसी भी हाल में रूस न जीत सके। रूस तो अकेला ही इन सारे देशों से लड़ रहा है। यहां तक कि यूरोपीय अधिकारियों का भी कहना है कि, यूक्रेन में रूस को जीत नहीं मिलनी चाहिए और इसलिए यूक्रेन को उनका सहयोग जारी रहेगा। लेकिन उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उनकी घरेलू रक्षा पर इसका भार बढ़ रहा है। वाशिंगटन स्थित स्टिमसन सेंटर शोध समूह ने अनुमान लगाया है कि यूक्रेन संकट ने जेवलिन टैंक रोधी हथियारों का भंडार अमेरिका में एक-तिहाई घटा दिया है। इसने आयुध आपूर्ति को भी दबाव में डाल दिया है क्योंकि अमेरिका निर्मित एम777 होवित्जर का अब उत्पादन नहीं हो रहा। कुल मिलाकर देखा जाय तो अमेरिका का फैसला यूक्रेन को मदद करना काफी महंगा साबित हो रहा है। पश्चिम में एक ओर महंगाई का सामना करना पड़ रहा है तो दूसरी ओर उसके हथियार खत्म हो रहे हैं।
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