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Bangladesh Crisis: बिगड़ते हालात के बीच बांग्लादेश ने उठाया बड़ा कदम

Bangladesh Crisis: चीन ने जिस देश में कदम रखा उसे वो बरबाद करके ही छोड़ा। ड्रैगन की BRI कर्ज नीति के चलते कई छोटे देश बुरी तरह फंस चुके हैं। आलम यह है कि इन छोटे देशों की अर्थव्यवस्था लगातार गिरती जा रही है। श्रीलंका में तो आजादी के बाद पहली बार इतिहास में इतनी भारी आर्थिक तबाही आई। चाहे श्रीलंका हो या फिर पाकिस्तान या फिर क्यों न बांग्लादेश (Bangladesh Crisis) सारों को चीन ने अपने कर्ज जाल में फंसा दिया है। चीन की मंसा थी कि इन्हें कर्ज न चूका पाने पर वो इनके बंदरगाहों पर कब्जा कर लेगा। श्रीलंका में हुआ भी यही। अब बांग्लादेश (Bangladesh Crisis) में स्थिति लगातार बुरी बनती जा रही है। बिजली उपभोग को कम करने के लिए सरकार ने विद्यालयों की साप्ताहिक छुट्टी को एक और दिन के लिए बढ़ा दिया है। इसके साथ ही बांग्लादेश (Bangladesh Crisis) में सरकारी और बैंकों के कामकाजी समय में एक घंटे की कटौती की गई है।

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बांग्लादेश में इस वक्त महंगाई अपने चरम पर पहुंच गई है। हाल के दिनों में तेल के भाव में पहली बार 50 फीसदी से भी ज्यादा की वृद्धि की गई थी। कैबिनेट सचिव खांडकर अनवारुल इस्लाम ने सोमवार को कहा कि बांग्लादेश में अधिकांश स्कूल शुक्रवार को बंद रहते हैं, लेकिन अब शनिवार को भी बंद रहेंगे। उन्होंने कहा कि, सरकारी कार्यालय और बैंक अपने प्रतिदिन के कामकाज की अवधि को अगले आठ घंटों से घटाकर सात घंटे कर देंगे, लेकिन निजी कार्यालयों को अपना कार्यक्रम निर्धारित करने की अनुमति होगी। महंगाई का दूसरा कारण यूक्रेन युद्ध भी है। यूक्रेन युद्ध के चलते आपूर्ति में व्यवधान के कारण ईंधन और भोजन की कीमतें दुनियाभर में बढ़ गई हैं। बांग्लादेश अपने गिरते विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम करने के लिए हाल के हफ्तों में ये उपाय कर रहा है। पिछले महीने ईंधन की कीमतों में 50 फीसदी से अधिक की वृद्धि की गई थी।

सरकार का कहना है कि वह एक विशेष व्यवस्था के तहत रूस से सस्ता ईंधन प्राप्त करने के विकल्प तलाश रही है। इस फैसले की आलोचना हुई है, लेकिन सरकार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय ईंधन की बढ़ती कीमतों के बीच घाटा कम करना आवश्यक है। हाल के हफ्तों में ऊंची कीमतों के खिलाफ छोटे-मोटे विरोध प्रदर्शन हुए हैं, लेकिन सरकार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी आने के बाद घरेलू कीमतों को समायोजित किया जाएगा। सरकार द्वारा सभी डीजल आधारित बिजली संयंत्रों के संचालन को निलंबित करने, दैनिक बिजली उत्पादन में 1,000 मेगावाट की कमी के बाद से देश में लगातार बिजली कटौती हो रही है।

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लेकिन अधिकारियों ने देश की 416 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए औद्योगिक क्षेत्रों को बिजली की आपूर्ति जारी रखने का वादा किया है, जो पिछले दशक में तेजी से बढ़ा है। बता दें कि, बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर लगभग 40 अरब डॉलर रह गया है।