हिंदुओं के आत्माओं से खेलवाड़ किया जा रहा है, आए दिन कोई न कोई ऐसे मामले सामने आते हैं जो हिंदु विरोधी होते हैं। चाहे रामनवमी हो या फिर क्यों न हनुमान जयंती की शोभा यात्रा हो हर बार हिंदुओं पर हमला हो रहा है। ऐसे में यह बेहद ही चिंताजनक बात है। क्योंकि, जो हिंदु लोगों को मिलाकर चलता है उन्हीं के ऊपर ऐसे हमले हो रहे हैं। हिंदु मुस्लिमों के ईद में गले मिलते हैं तो उनके अन्य त्योहारों में भी उनके साथ रिश्तों की डोर को मजबूत करना चाहते हैं। लेकिन, जब इसे वापस करने की बारी आती है तो हिंदुओं को खाने में बीफ परोस दिया जाता है। जो बेहद ही शर्मनाक है।
यह मामला बांग्लादेश का है। जहां पर पिछले काफी दिनों से हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। हिंदुओं देवी-देवताओं के मंदिरों में तोड़फोड़ के साथ ही उनपर हमले किए जा रहे हैं। अब तो इफ्तार पार्टी में हिंदुओं को गोमांस तक परोस दिया गया। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) सिलहट में आयोजित एक इफ्तार पार्टी में हिंदुओं को भी गोमांस यानी बीफ खाने के लिए दिया गया। कार्यक्रम स्थल पर उपलब्ध कराए गए इफ्तार के मेन्यू में बीफ की जगह कोई दूसरी डिश लेने का कोई विकल्प नहीं था। इस घटना ने सोशल मीडिया में हंगामा मचा दिया है।
बांग्लादेश की अखबारों की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को बीएनपी की सिलहट इकाई द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में कम से कम पार्टी के 20नेताओं और हिंदू कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस आयोजन में आमतौर पर मुस्लिम और अन्य समुदायों के सदस्य शामिल होते हैं। इफ्तार के लिए परोसे गए प्लेटों में अन्य व्यंजनों के साथ गोमांस भी दिया गया। यहां तक कि हिंदू समुदायों के आमंत्रित पत्रकारों को भी कथित तौर पर गोमांस की पेशकश की गई थी। घटना के बाद बीएनपी के स्थानीय हिंदुओं ने आयोजकों की निंदा करने के लिए फेसबुक का सहारा लिया। बीएनपी के एक स्थानीय सदस्य मंटू नाथ ने निमंत्रण पर अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए लिखा, बीफ की जगह किसी दूसरी डिश के विकल्प के अभाव में मुझे और 20 अन्य हिंदू सहयोगियों को सभी मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपना उपवास तोड़ते हुए देखना पड़ा।
बीएनपी के छात्र संगठन के एक स्थानीय नेता कनक कांति दास ने व्यवस्था को एक तमाशा बताते हुए कहा कि, आपने अपने इफ्तार का आनंद लिया और हम हिंदू आमंत्रित बस देखते रह गए। वहीं, बिना कोई माफी मांगे बीएनपी सिलहट जिले के नेताओं ने बाद में इसे स्वीकार किया। स्तंभकार और एकशी पदक से सम्मानित अजय दास गुप्ता ने कहा कि जिन सैन्य शासकों ने 15 साल तक बांग्लादेश पर कब्जा किया और शासन किया उन्होंने पाकिस्तान समर्थक जमात-ए-इस्लामी को वैध ठहराया। उन्होंने संवैधानिक संशोधन भी पेश किए जिसने देश की धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक राजनीति को कमजोर कर दिया और अंत में इस्लाम को बांग्लादेश का राज्य धर्म घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि बीएनपी और उसके सहयोगी जमात-ए-इस्लामी जैसी कुछ पार्टियों ने "कट्टरपंथी इस्लाम के पाकिस्तानी सैन्य-कट्टरपंथी मॉडल" को बहाल करने की कोशिश की है, लेकिन असफल रहे।