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जंग के बीच रूसी नौसेना में शामिल हुई दुनिया की सबसे बड़ी Belgorod Submarine, खौफ में अमेरिका कहा- ये तो ला सकती है भारी…

रूसी नौसेना में शामिल हुई दुनिया की सबसे बड़ी महाविनाशक सबमरीन

रूस एक ओर यूक्रेन से जंग लड़ रहा है तो दूसरी ओर दुनिया को अपनी ताकत भी दिखा रहा है। अमेरिका, नाटो और पश्चिमी देश को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बड़ा झटका दिया है। रूस अपनी ताकत में बड़ा इजाफा करते हुए रूसी नौसेना में दुनिया की सबसे लंबी महाविनाशक पंडुब्बी बेलगोरोड (Belgorod Submarine) शामिल किया है। ये कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगा लें कि, ये न्यूक्लियर टॉरपीडे से लौस है, जो एक रेडियोएक्टिव सुनामी लाने की ताकत रखती है। स्कूल बस के बराबर ये पनडुब्बी 184 मीटर लंबी है। ये पिछले 30 साल में बनने वाली अब तक की सबसे बड़ी पनडुब्बी है।

विस्फोट होते ही सब हो जाएगा तबाह

US नेवल इंस्टीट्यूट न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक 30 हजार टन वजनी इस पनडुब्बी में 80 फुट के छह पोसाइडन न्यूक्लियर टॉरपीडो ड्रोन लगे हैं, जिनमें 100 मेगाटन न्यूक्लियर पेलोड भरा है। ये हथियार इतने घातक हैं कि इनके फटने से समुद्र का पानी 500 मीटर ऊंचे तक उछल सकता है जो एक बड़ी लहर पैदा करने के लिए काफी है। इसके साथ ही जहां-जहां भी ये पानी जाएगा वो अपने साथ न्यूक्लियर रेडिएशन लेकर चलेगा। पोसाइडन टॉरपीडो को आर्थिक गतिविधि वाले तटीय शहरों को तबाह करने के लिए बनाया गया है। क्योंकि इससे लंबे समय तक रेडिएशन रहेगा। 2015 में लीक हुए एक डॉक्यूमेंट में ये बात सामने आई थी।

अमेरिका के लिए वॉर्निंग

वैसे 2015 में लीक हुए डॉक्यूमेंट को लेकर यह भी कहा जाता है कि, रूस ने जानबूझ कर इस पनडुब्बी की खासियत को लीक किया था। ताकि अमेरिका को इसके जरिए एक वॉर्निंग सिग्नल मिल सके। लीक दस्तावेजों के मुताबिक, इस हथियार की रेंज हजारों किमी बताई गई है। जिस आकार के वॉरहेड इस पनडुब्बी में है वह अमेरिकी तट को एक खतरनाक रेडियोएक्टिव सुनामी से तबाह कर सकते हैं। मई 2020 में रूस की न्यूज एजेंसी TASS ने बताया था कि इसका पेलोड दो मेगाटन तक हो सकता है, जो दुश्मनों के नौसेना अड्डों को तबाह कर सकता है। ये पनडुब्बी एक किमी की गहराई तक जा सकती है।

बता दें कि, ये पनडुब्बी रूसी नौसेना को 31 जुलाई तक मिलने वाली थी लेकिन, ये इससे पहले ही मिल गई। 8 जुलाई को रूस के नेवी कमांडर इन चीफ निकलाय टेवमेनोव पनडुब्बी के डिलवरी सेरेमनी में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि, ये शोध और विज्ञान में इस्तेमाल की जाएगी। एक रक्षा विशेषज्ञ का कहना है कि, पश्चिम की किसी भी पनडुब्बी से बड़ी है और इसमें पानी के ड्रोन हैं। युद्ध से ज्यादा इसका इस्तेमाल कोवर्ट मिशन में किया जाएगा, जैसे अंडर वाटर इंटरनेट की केबल को काटना जो पश्चिमी देशों को दुनिया से अलग कर सकते हैं। जंग के बीच इस पंडुब्बी को लॉन्च करने का मतलब साफ है कि, रूस ने यह चेतावनी दी है कि वो रुकने वाला नहीं है और पश्चिमी देश उससे दूर रहे हैं।