नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली नेपाल सरकार ने 12 देशों में नियुक्त कए गए अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है। जिसके बाद से चर्चा जोरों पर है, ये सारे राजदूत पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा नियुक्त किए गए थे। वापस बुलाए गए राजदूतों में भारत में नेपाल के राजदूत निलांबर आचार्य भी शामिल हैं।
मीडिया में आ रही खबरों की माने तो, नेपाल सरकार के इस फैसले के बाद नेपाल के विदेशों में 33 में से 23 कूटनीति मिशन अगले तीन हफ्तों से एक महीने तक खाली रहेंगे। इसके साथ ही 11 मिशनों में लंबे समय से कोई राजदूत नहीं है। विधि, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने कहा कि, आज मंत्रिमंडल की एक बैठक में ओली सरकार द्वारा राजनीतिक कोटे के तहत नियुक्त किए गए राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला लिया गया है। इस फैसले का मतलब है कि नेपाल के कुछ महत्वपूर्ण देशों में राजदूत नहीं होंगे जिनके साथ उनके बहुत करीबी कामकाजी संबंध हैं। इनमें भारत, चीन, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं।
नेपाल सरकार द्वारा लिए गए फैसले के बाद आचार्य के अलावा बीजिंग में काम रहे राजदूत महेंद्र बहादुर पांडेय, वाशिंगटन डीसी में युवराज खातीवाडा और लंदन में काम कर रहे लोक दर्शन रेगमी को वापस लौटना होगा। आचार्य को फरवरी 2019 में दिल्ली में नेपाल का राजदूत नियुक्त किया गया था। नई सरकार के गठन के पांच दिन बाद 18 जुलाई को देउबा मंत्रिमंडल ने विभिन्न देशों में राजदूतों के तौर पर ओली सरकार द्वारा की गई 11 अनुशंसाओं को रद्द कर दिया था।
खबरों की माने तो, यह दावा किया जा रहा है कि नई सरकार इस बार पुरानी नीति को बदलने जा रही है जिसके चलते ऐसा फैसला लिया गया है। लेकिन, अभी तक ये साफ नहीं हो सका है कि नए राजदूतों की नियुक्ति में किन बातों का ध्यान रखा जाएगा, या फिर किसी आधार पर इनकी नियुक्ती होगी।