अंतर्राष्ट्रीय

रूस से नहीं मिलेगा भारी छूट पर तेल? पुतिन की जिद से बढ़ सकती है भारत की मुश्किलें?

फरवरी 2022 से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। इसी जंग की वजह से रूस पर प्रतिबंध लगाए गए। लेकिन इन्ही प्रतिबंधों की वजह से भारत को रूस (Russia) से सस्‍ती दरों पर तेल मिलना शुरू हुआ। वहीं अब इस सस्ते तेल की सप्‍लाई अटकी सकती है। दरअसल, भारत और रूस के बीच पिछले कई दिनों से यह मुद्दा अटका हुआ है कि पेमेंट का सिस्‍टम क्‍या होगा। इसकी वजह से आने वाले दिनों में भारत को हो रही सस्‍ते तेल की सप्‍लाई संकट में पड़ सकती है। एक वेबसाइट के अनुसार रूस और भारत के बीच डॉलर का विकल्‍प जब तक नहीं तलाश लिया जाता तब तक सबकुछ अटका रहेगा।

तेल का रिकॉर्ड आयात

इसी साल मार्च में भारत ने रोजाना रूस से 1.64 मिलियन बैरल तेल का रिकॉर्ड आयात किया था। रूस लगातार छठे महीने कच्चे तेल का भारत का टॉप सप्‍लायर रहा है और भारत के तेल आयात का करीब एक तिहाई हिस्सा रहा। अप्रैल में अब तक भारत को कच्चा तेल औसतन 83.96 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर मिल रहा है। भारत और रूस के साथ बातचीत जारी है। रूस की तरफ से होने वाले तेल आयात पर अमेरिका और यूरोप की तरफ से 60 डॉलर प्रति बैरल प्राइस कैप तय किया गया है। ऐसे में भारत बहुत कम कीमत रूस से तेल हासिल कर रहा है।

क्‍या होगा रुपए का विकल्‍प

अमेरिका की तरफ से रूस (Russia) पर लगाए गए प्रतिबंधों का मतलब यह भी है कि भारत रूस से तेल आयात के बाद अमेरिकी डॉलर में पेमेंट नहीं कर सकता है। जबकि अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भुगतान का पारंपरिक तरीका डॉलर ही है। इसने अब भारतीय नीति निर्माताओं के लिए बड़ी समस्याएं खड़ी कर दी हैं। इसके कई विकल्‍प तलाशे जा रहे हैं और भुगतान करने का एक तरीका भारतीय रुपये का प्रयोग है। एक विकल्‍प यह भी है कि पेमेंट किसी तीसरे देश की मुद्रा को भी पेमेंट के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है।

ये भी पढ़े: Petrol-Disel होगा सस्ता! इंडिया को Russia देता रहेगा सिर्फ 49 डॉलर प्रति बैरल तक तेल

वैसे इन इन रिपार्ट्स को लेकर किसी ने भी कोई पुष्टि नहीं की और इन्‍हें अनौपचारिक माना गया है। न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स की तरफ से फरवरी में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारतीय रिफाइनर दिरहम के यूज कर पेमेंट कर सकती हैं। भारत सरकार की तरफ से इस बात पर कोई टिप्‍पणी नहीं की गई है। भारत-रूस के संबंधों पर नजर रखने वाले जानकारों की मानें तो भारत असल में दिरहम का प्रयोग कर रहा है। जबकि रूस को इसकी जरूरत नहीं है।

आईएन ब्यूरो

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