चीन(China) नई नई चालबाज़ियों में लगा रहता है। उसके सीमा से जुड़े देश तो कभी सुकून से नहीं रह सकते हैं। वह हर किसी को अपने क़र्ज़ जाल में फ़साने की कोशिश करता है। पहले श्रीलंका, फिर पाकिस्तान, बांग्लादेश के बाद नेपाल को भी बड़ी धनराशि देकर चीन अपने चंगुल में फंसाने की जुगत में है। गौरतलब है कि चीन(China) नेपाल में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए हर हथकंडे अपना रहा है। चीन नेपाल पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए 80 अरब रुपए की मदद देगा। इस कारण नेपाल के पीएम पुष्पकुमार दहल ‘प्रचंड‘ के हालिया बयान चीन की ओर झुके हुए दिखाई दे रहे हैं। वहीं पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा के शासनकाल में नेपाल में अमेरिका का दबदबा बढ़ा हुआ था।
बीते सप्ताहांत नेपाल के वित्त मंत्री प्रकाश शरण महत के कार्यालय ने एक बयान जारी किया। उसमें बताया गया कि इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण संबंधी परियोजनाओं पर खर्च के लिए नेपाल को चीन (China) 80 अरब (नेपाली) रुपये देगा। इस बात पर सहमति महत और काठमांडू स्थित चीन के राजदूत चेन सोंग के बीच बातचीत में बनी। हालांकि नेपाल के वित्त और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने मीडिया को बताया है कि यह कोई नई सहायता नहीं है। चीन (China) यह मदद देने का वादा साल 2008 से करता रहा है। अब उसने यह रकम जारी करने का फैसला किया है।चीन की इमदाद के कारण नेपाली पीएम के सुर बदले नजर आ रहे हैं। वे चीन की तारीफ अपने बयानों से करने लगे हैं। जून में भारत यात्रा पर आने की खबर से पहले नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड‘ ने चीन की तारीफ कर दी। नेपाल के पीएम प्रचंड ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में नेपाल में प्रगति के लिए चीन ने काफी सहायता की है। इस सहायता के लिए नेपाल के पीएम प्रचंड ने चीन की सराहना की है।
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अपने संबोधन में प्रचंड ने उम्मीद जताई कि इस उन्नत बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के साथ अस्पताल उन रोगियों को सुविधा मुहैया करने में सक्षम होगा, जिन्हें बेहतर इलाज एवं सेवाओं की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ‘मैं इस अस्पताल और उन्नयन और पुनर्निर्माण की इस विशेष परियोजना का समर्थन करने के लिए चीन की सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं।‘ दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की ओर इशारा करते हुए प्रचंड ने कहा ‘नेपाल और चीन मैत्रीपूर्ण, सौहार्दपूर्ण और सहकारी संबंधों का एक लंबा इतिहास संजोए हुए हैं।‘
आरोप है कि नेपाल की सरकारें चीन से मिलने वाली सहायता में प्राथमिकता तय करने में अब तक नाकाम रही हैं। चीन में नेपाल के राजदूत रह चुके लीला मणि पौडयाल ने कहा है- ‘हम परियोजना का खाका तैयार करने, उनके बारे में चीन से बातचीत करने और निवेश लाने में नाकाम रहे हैं। हम परियोजना के बारे में अपने प्रस्ताव नहीं रख पाए हैं।’
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