China Captured Sri Lankan Media: चीन के चक्कर में फंस कर श्रीलंका और अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। आजादी के बाद इससे पहले कभी नहीं इतनी भारी आर्थिक तबाही देखने को मिली थी। श्रीलंका चीन से जितना निकट गया उतना तबाह होता गया। चीन के कर्ज जाल में ऐसा फंस गया कि देश की अर्थव्यवस्था धड़ाम हो गई। श्रीलंका में कब हालात ठीक होंगे कुछ नहीं कहा जा सकता। अब चीन यहां पर नई चाल चलते नजर आ रहा है। चीन अब श्रीलंका के लोगों के दिमाग पर कब्जा करने की तैयारी कर रहा है। जिसके लिए चीन आक्रामक कुटनीति के जरिए स्थानीय मीडिया (China Captured Sri Lankan Media) पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहा है। यहां तक कि श्रीलंका का सरकारी मीडिया भी चीन (China Captured Sri Lankan Media) के दबाव में खबरों को प्रसारित कर रहा है। इसके पीछे मकसद है कि लोगों के बीच चीन को लेकर अच्छी छवि का निर्माण करना।
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2019-21 की कवरेज अवधि के दौरान श्रीलंकाई मीडिया पर चीन के कवरेज के प्रभाव स्पष्ट तौर पर देखे गए हैं। बड़ी संख्या में बीजिंग समर्थक इंफ्लूएंसर्स ने श्रीलंकाई सोशल मीडिया स्पेस में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया है। ये लोग विशेष रूप से श्रीलंका के युवा आबादी तक अपनी पैठ बनाने और देश के थिंक टैंक को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे। द आइलैंड ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में राजपक्षे परिवार की सत्ता में वापसी और 2022 में उन्हें बेदखल करने के विरोध ने प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध और पत्रकारों पर हमलों को बढ़ा दिया। इस कारण स्थानीय मीडिया की पकड़ अपने ही देश में कमजोर पड़ गई है। इसी का फायदा चीन ने उठाया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि श्रीलंकाई और चीनी सरकारों के बीच उच्च-स्तरीय संबंधों के कारण राजनेता और उद्योगपतियों ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों मंचों पर चीनी प्रॉपगैंडा को बड़े पैमाने पर खुद फैलाया है।
सरकारी और सोशल मीडिया तक पर चीन का कब्जा
चीन का श्रीलंका के सरकारी मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक पर कब्जा हो गया है। सरकारी अखबार डेली न्यूज, नेशनल बिजनेस पेपर द डेली एफटी, कुछ एलीट क्लास से संचालित सांस्कृतिक संगठन और थिंक टैंक चीन के पक्ष में कंटेंट परोस कर देश में एक नया माहौल खड़ा किया जा रहा है। इसके अलावा चीनी राजनयिकों ने वुल्फ वॉरियर वाली रणनीति अपनाई है, जो नियमित रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी आलोचना करने वालों के खिलाफ मोर्चा खोलते हैं। इसके साथ ही चीन ने श्रीलंका में बड़े पैमाने पर फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स भी खोले हैं। जो चीन विरोधी कंटेट के खिलाफ खुद को श्रीलंकाई नागरिक बताकर उसका विरोध करते हैं।
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सिर्फ यही नहीं, चाइना रेडियो इंटरनेशनल श्रीलंका की प्रमुख भाषा सिंहली में अपने प्रोग्राम को प्रसारित करता है। इसका प्रमुख लक्ष्य श्रीलंकाई दर्शकों तक चीन के पक्ष में माहौल का निर्माण करना है। यह सोशल मीडिया पर सिंहली और तमिल दोनों ही भाषाओं में उपलब्ध है। इसके सिंहली अकाउंट के तो 1.4 मिलियन फॉलोअर्स भी हैं। जो साबित करता है कि आधे से ज्यादा फेक अकाउंट हैं। क्योंकि, श्रीलंका की आबादी और इंटरनेट यूज करने वाले लोगों की संख्या के हिसाब से इतने फॉलोअर्स बहुत ज्यादा हैं। खासतौर पर 2020 के बाद से ही चीनी राज्य मीडिया से जुड़े फेसबुक इंफ्लूएंसर्स ने सिंहली सहित स्थानिय भाषाओं को लक्षित करने वाली सामग्री को तेजी से आगे बढ़ाया है। चीन यही पाकिस्तान में भी कर रहा है आने वाले दिनों में वहां पर भी श्रीलंका जैसा असर देखने को मिलेगा। चीन जो भी कर रहा है आने वाले दिनों में इसका अंजाम उसे ही भुगतना होगा।
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