यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के सलाहकार मायखाइलो पोडोल्याक के एक बयान पर जमकर बवाल मचा हुआ है। जी हां, दरअसल पोडोल्याक ने भारत और चीन (china) के लोगों की बौद्धिक क्षमता पर सवाल उठाए थे और उनके इस बयान से चीन काफी नाराज है और उसने पोडोल्याक से सफाई मांगी है। उनकी टिप्पणी को भारत में हुए जी20 की प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है। इस सम्मेलन के बाद जो घोषणा पत्र जारी हुआ, उसमें रूस का जिक्र नहीं था लेकिन यूक्रेन युद्ध का जिक्र हुआ था। भारत की तरफ से अभी पोडोल्याक की टिप्पणी पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई।
अधिकारी ने क्या कहा?
रूस की आधिकारिक न्यूज एजेंसी स्पूतनिक ने यूक्रेनी राष्ट्रपति के सलाहकार मायखाइलो पोडोल्याक के हवाले से कहा, ‘भारत, चीन के साथ समस्या यह है कि वे अपने कदमों के परिणामों का विश्लेषण नहीं कर रहे हैं, दुर्भाग्य से इन देशों की बौद्धिक क्षमता कमजोर है।’चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने पोडोल्याक के बयान पर प्रतिक्रिया दी। निंग ने एक और रूसी न्यूज एजेंसी से कहा कि यूक्रेन के अधिकारी को अपनी टिप्पणी के लिए सफाई देनी होगी। भारत हमेशा से रूस और यूक्रेन से कूटनीति और बातचीत के रास्ते संघर्ष को समाप्त करने की अपील करता आया है।
चीन को चाहिए सफाई
पोडोल्याक की यह टिप्पणी यूक्रेन मुद्दे पर भारत और चीन द्वारा अपनाए गए रुख की पृष्ठभूमि में आई है। माओ ने रिया नोवोस्ती से कहा, ‘मैं इन टिप्पणियों का संदर्भ नहीं जानती और जिन्होंने ये टिप्पणियां दी हैं उनसे सफाई चाहती हूं।’ उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट पर, चीन हमेशा शांति के लिए बातचीत को बढ़ावा देने और राजनीतिक समाधान की सुविधा के लिए जिम्मेदार तरीके से काम करता आया है। निंग ने पोडोल्याक का जिक्र करते हुए कहा, ‘जिस व्यक्ति का आपने हवाला दिया है उसे सटीक व्याख्या के आधार पर चीन की स्थिति को सही ढंग से देखना चाहिए।’
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यूक्रेन घोषणा से नाराज
भारत में हाल ही में खत्म हुए जी20 शिखर सम्मेलन में, नेताओं की घोषणा में यूक्रेन पर रूस के हमले का जिक्र उल्लेख करने से परहेज किया गया। इसके साथ ही सभी देशों से एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने के सिद्धांत का पालन करने की अपील की गई। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय की तरफ से घोषणा पत्र पर टिप्पणी की गई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओलेग निकोलेंको ने फेसबुक पर लिखा था, ‘घोषणा में ‘गर्व करने लायक कुछ भी नहीं’ है। यूक्रेन की उपस्थिति से सदस्यों को स्थिति की बेहतर समझ होती।’
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