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China की उड़ी नींद! Taiwan ने बना डाला ब्रह्मास्त्र, 100 किमी तक ड्रैगन की सेना की खैर नहीं

ताइवान (Taiwan) ने चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए अपनी सैन्य तैयारियों को तेज कर दिया है। इसके लिए ताइवान ने पैट्रियट मिसाइल के पूरक के तौर पर स्काई बो III मिसाइल के दो नए वेरिएंट्स को तैयार किया है। स्काई बो III सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है। इसके नए वेरिएंट्स का नाम स्काई बो I और स्काई बो II है। ये दरअसल एक एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जो 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर दुश्मनों की मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम हैं। ऐसी आशंका है कि ताइवान के खिलाफ चीनी हमले की पहली लहर मिसाइलों के जरिए आएगी। ऐसे में ताइवान ने पहले से ही अपने एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करना शुरू कर दिया है।

ताइवान ने बढ़ाई मिसाइल डिफेंस क्षमता

ताइवान (Taiwan) अपनी रक्षा के लिए अमेरिका से पीएसी-3 इंटरसेप्टर के साथ पैट्रियट मिसाइल रक्षा प्रणाली को भी खरीद रहा है। हालांकि, ताइवान न केवल अमेरिकी हथियारों पर निर्भर है, बल्कि अपने स्वयं के हथियारों का भी विकास कर रहा है। ताइवान के नेशनल चुंग-शान इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनसीएसआईएसटी) ने स्काई बो III सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली के दो आधुनिक संस्करण विकसित किए हैं। इन्हें स्ट्रांग बो I और स्ट्रांग बो II कहा जाता है।

100 किमी तक चीनी मिसाइलें होंगी धुआं-धुआं

ताइवान (Taiwan) ने स्काई बो III के सभी पैरामीटर को अभी सार्वजनिक नहीं किया है। हालांकि, यह ज्ञात है कि स्ट्रॉन्ग बो I और स्ट्रॉन्ग बो II क्रमश 70 किलोमीटर और 100 किलोमीटर की अधिकतम ऊंचाई पर लक्ष्य को भेदने में सक्षम हैं। इनकी तुलना में, स्काई बो III 45 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर किसी भी मिसाइल को मार गिरा सकती है। हालांकि, बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए इसकी रेंज 100 किलोमीटर से ज्यादा की है। इस नए मिसाइल इंटरसेप्टर के इंजन में सुधार किया गया है और जैमिंग सुरक्षा को भी बढ़ाया गया है।

ताइवान ने बिछाया मिसाइल इंटरसेप्टर्स का जाल

स्ट्रांग बो I ने सभी परीक्षण पास कर लिए हैं और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयार है। स्ट्रांग बो II अभी भी आवश्यक परीक्षणों से गुजर रहा है। ये सभी एयर डिफेंस सिस्टम ताइवान की सुरक्षा का हिस्सा होंगे। इनमें अब स्काई बो III और पैट्रियट भूमि-आधारित सिस्टम के साथ-साथ स्काई वर्ड II समुद्र-आधारित सिस्टम भी शामिल हैं। इन सभी मिसाइल डिफेंस सिस्टमों से अधिकतर को चीन की तरफ रुख करके तैनात किया गया है।

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