अंतर्राष्ट्रीय

कबाड़ Fighter jet लेकर इंडिया को घेरने चले थे China-Pak, म्यांमार ने कहा- रद्दी है JF-17

China-Pakistan JF-17 Fighter Jets: पाकिस्तान की हर चाल भारत के खिलाफ होती है और इसमें उसका साथ देता है सदाबहार दोस्त चीन। दोनों का मकसद एक है भारत। चाहे आतंक को बढ़ावा देना हो या फिर कोई नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना हो। सब भारत के खिलाफ होता है। अब चीन और पाकिस्तान ने मिलकर भारत को टक्कर देने के लिए JF-17 फाइटर जेट (China-Pakistan JF-17 Fighter Jets) तैयार किया, जिसे पूरी दुनिया में खुब बढ़ा चढ़ाकर इसकी खुबियां पेश की गई। लेकिन, हुआ यह कि यह फाइटर जेट कबाड़ निकला। म्यांमार की वायुसेना (Myanmar Air Force) ने चीन और पाक के इस फाइटर जेट को उड़ाने से ही मना कर दिया है। म्यांमार को चीन से ये जेट अभी चार साल पहले ही मिले थे लेकिन, इसकी तकनीकी खराबी म्यांमार के लिए सिरदर्द बन गया है। म्यांमार वायुसेना के पूर्व पायलटों ने तो यह भी कह दिया है कि, JF-17 जेट (China-Pakistan JF-17 Fighter Jets) इतने सक्षम नहीं हैं कि देश की हवाई रक्षा क्षमता को मजबूत कर सकें।

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कबाड़ निकला चीन-पाकिस्तान का तैयार किया हुआ JF-17 लड़ाकू विमान
म्‍यांमार की वायुसेना ने JF-17 लड़ाकू विमानों के ढांचे में खराबी आने की वजह से उड़ाने से मना किया है। चीन का दावा है कि उसके ये जेट्स दुश्‍मन के अड्डों की रेकी से लेकर जमीन पर हमलों और बॉम्बिंग मिशन को अंजाम देने में सक्षम हैं। इन जेट्स को फिलहाल अनफिट करार देकर जमीन पर ही खड़ा रखने का फैसला किया गया है। मीडिया में आ रही रिपोर्टों की माने तो, म्यांमार के पास ऐसे तकनीकी विशेषज्ञ नहीं है कि वो इस जेट में आई खराबी को ठीक कर सकें। म्‍यांमार ने चीन ने 16 जेएफ-17 खरीदने की डील साल 2016 में की थी। लेकिन, उसे ये नहीं पता था कि उसका ये आधुनिक लड़ाकु विमान कबाड़ निकलेगा। म्यांमार ने चीन को हर जेट के लिए 25 मिलियन डॉलर की मोटी रकम दी थी। पहले छह जेट म्‍यांमार को साल 2018 में मिले थे। बाकी के 10 जेट्स के बारे में कोई भी जानकारी दोनों देशों की तरफ से नहीं दी गई है। इस डील के साथ ही म्‍यांमार दुनिया का वह पहला देश बन गया था जिसने चीन-पाकिस्‍तान की तरफ से तैयार इस जेट को खरीदा था। साल 2018 में ही म्‍यांमार की वायुसेना ने इन्‍हें आधिकारिक तौर पर अपने बेड़े में शामिल किया था।

चीन-पाक का मकसद इस विमान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना था
जेएफ-17 को पाकिस्‍तान एरोनॉटिकल कॉम्‍प्‍लेक्‍स और चेंगदू एरोस्‍पेस कोऑपरेशन की तरफ से विकसित किया गया है। तैयार किया गया है। इसे विकसित करने का सबसे बड़ा मकसद था भारत की वायुसेना के खिलाफ चीनी वायुसेना को मजबूत करना। इऩ जेट्स में रूस की किमोव RD93 एरोइंजन लगा है। साथ ही इसका एयरफ्रेम चीन में तैयार हुआ है। चीन का दावा है कि जेट्स को हवा से हवा में हमला करने वाली मध्‍यम रेंज की मिसाइलों, 80 एमएम और 240 एमएम के रॉकेट्स के साथ ही 500 पौंड के बमों से लैस किया जा सकता है। म्यांमार को चीन-पाक निर्मित ये जेट 2016 में मिले और दो ही साल के अंतराल में छह में से 4 को बाहर कर दिया गया। वर्ष 2018 दिसंबर में म्‍यांमार के तत्‍कालीन आर्मी चीफ मिन आंग हलिंग ने चार ऐसे जेट्स को बाहर कर दिया था जिनमें तकनीकी खराबी पाई गई थी। इन जेट्स को मीकटिला एयर बेस पर जारी कार्यक्रम के बीच से हटाया गया था। इसके बाद दिसंबर 2019 में दो और जेट्स को वायुसेना के 72वें स्‍थापना दिवस के मौके पर शामिल किया गया था।

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रडार तक काम नहीं करती
चीन-पाक द्वारा म्यांमार को सौंपा गया इस विमान की रडार तक फिसड्डी निकली। वहां के अधिकारियों का कहना है कि ये राडर ही काम नहीं करता तो देश की रक्षा क्या करेगा। इस जेट में चीन की बनी KLJ-7AI रडार दी गई है। विशेषज्ञ बताते हैं कि, इस रडार की क्षमता बहुत ही खराब है और इसके रखरखाव में भी समस्‍या आती है। इस एयरक्राफ्ट में बियॉन्‍ड विजुअल रेंज यानी बीवीआर मिसाइल या फिर हवा में दुश्‍मन का पता लगाने वाली इंटरसेप्‍शन रडार भी नहीं है। म्‍यांमार एयरफोर्स के एक पायलट की मानें तो वेपन मिशन मैनेजमेंट कम्‍प्‍यूटर में खराबी आने की वजह से बीवीआर मिसाइल भी लॉन्‍च जोन में फुस्‍स हो गई। जेट का एयरफ्रेम भी कभी भी खराब हो सकता है। इसके विंगटिप्‍स और हार्डप्‍वाइंट्स भी खामियों से भरे हुए हैं।

आईएन ब्यूरो

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