अंतर्राष्ट्रीय

खतरे में अमेरिका का पर्ल हार्बर, ड्रैगन ने हाइपरसोनिक मिसाइल हमले के लिए कर रचा ये खेल

शायद ही कोई ऐसा देश हो जो चीन (china) से परेशान न हो। चीन की पैंतरेबाजी और उसके हड़पने की भूख के चलते उससे सीमा साझा करने वाले सारे देश परेशान हैं। चीन उनमें से है जो कभी भी शांत नहीं बैठ सकता है इसलिए वह अक्सर कोई न कोई गेम प्लान करता रहता है। ऐसे में अब चीन ने भविष्य के युद्धों को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी मिलिट्री बेस की जासूसी को तेज कर दिया है। हाल में ही चीन ने हवाई पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए उपग्रहों से दागे गए हरे रंग के लेजर का इस्तेमाल किया है। इस घटना को हवाई के एक द्वीप की पहाड़ की चोटी पर लगे लाइव स्ट्रीम कैमरे ने रिकॉर्ड कर लिया। यह कैमरा टेलीस्कोप से जुड़ा हुआ था।

बता दें, हवाई में अमेरिका का ज्वाइंट बेस पर्ल हार्बर हिकमैन स्थित है, जो प्रशांत महासागर में अमेरिकी नौसेना (Us Navy) और वायु सेना का बड़ा सैन्य अड्डा है। इस सैन्य अड्डे को अमेरिका का फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस भी माना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने पर्ल हार्बर पर ही हमला किया था।

चीन ने ली अमेरिकी सैन्य अड्डे के मौसम की जानकारी?

पहले इस बात का अनुमान लगाया जा रहा था कि ये रोशनी नासा के एक उपग्रह से आई थी। बाद में हुई जांच में पता चला कि इस हरे रंग की रोशनी के पीछे एक चीनी प्रदूषण निगरानी उपग्रह डाकी-1 का हाथ था। इस घटना के बार तुरंत सवाल उठने लगे कि हवाई में इतनी बड़ी संख्या में अमेरिकी सेना की उपस्थिति को देखते हुए चीन को यहीं पर प्रदूषण की निगरानी करना जरूरी क्यों लगा। यह घटना चीनी जासूसी गुब्बारे को अमेरिका में मार गिराने के कुछ हफ्ते बाद की है।

ये भी पढ़े: चीन की नई चाल! ‘जेल’ में बदला पाकिस्‍तान का ग्‍वादर,ड्रैगन से दोस्‍ती की अब चुकानी होगी कीमत

पर्ल हार्बर अमेरिका का बड़ा सैन्य अड्डा

पर्ल हार्बर अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा है। यह यूनाइटेड स्टेट पैसिफिक फ्लीट और पैसिफिक एयर फोर्सेज का मुख्यालय भी है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय 7 दिसंबर 1941 को जापान ने पर्ल हार्बर पर जबरदस्त हवाई हमला किया था। इसी हमले के कारण अमेरिका को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल होना पड़ा था। ऐसे में अगर चीन इस द्वीप समूह पर हमला करता है तो यह तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत हो सकती है।

चीन सैटेलाइट से जासूसी कर रहा

द सन ऑनलाइन को बताया कि डाकी-1 के लेज़र विशेष रूप से वातावरण के घनत्व की निगरानी करते हैं और हवा की विभिन्न दिशाओं का पता लगा सकते हैं। यह ठीक वही डेटा है जो चीन के लिए छोटे मल्टीपल रीएंट्री व्हीकल न्यूक्लियर वॉरहेड्स या हाल ही के हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल वॉरहेड्स को सटीक रूप से टारगेट करने के लिए आवश्यक है।

हाइपरसोनिक मिसाइल से हमला करने की तैयारी?

हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल वॉरहेड कम ऊंचाई पर आड़े-तिरक्षे उड़ते हैं। ऐसे में इनको इंटरसेप्ट करना और लक्ष्य का पता लगाना काफी मुश्किल होता है। यह प्रतिकूल मौसम में भी अपने लक्ष्य को आसानी से साध सकते हैं, बशर्तें उन्हें लक्ष्य के आसपास के मौसम का सटीक डेटा मिल जाए। ऐसे में चीन का डाकी-1 उपग्रह हाइपरसोनिक मिसाइल हमले के लिए मौसम का सटीक डेटा दे सकता है।

आईएन ब्यूरो

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