चीन इस वक्त ताइवान (China Taiwan Conflict) पर कब्जा करने के लिए पूरी तरह से तैयार बैठा हुआ है। ये जंग अगर हुई तो ताइवान के बीच नहीं बल्कि चीन और अमेरिका बीच होगी। क्योंकि, अमेरिका का साफ कहना है कि अह ड्रैगन ने ताइवान (China Taiwan Conflict) पर हमला किया तो वो उसकी रक्षा करेगा। चीन पहले से ही कहते आ रहा है कि अमेरिका, ताइवान के मामलों पर बोलना बंद करे क्योंकि, वो उसका हिस्सा है और वो जब चाहेगा तब ताइवान को अपने में मिला लेगा। इधर ताइवान का कहना है कि उसकी अपनी आजादी है वो इसके लिए अंत तक लड़ेगा। चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए लिए ताइवान (China Taiwan Conflict) लगातार युद्धभ्यास कर रहा है। अब ताइवान एक और बड़ा कदम उठाते हुए अपने रक्षा बेड़े में घातक लड़ाकू विमान शामिल किया है।
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अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद से दोनों देशों के बीच में तनाव जारी है। चीन को करारा जवाब देने के लिए ताइवान ने बड़ा कदम उठाते हुए अपने रक्षा बेड़े में घातक लड़ाकू विमान और बड़े हथियारों समेत अन्य उपकरण शामिल किए हैं। ताइवान ने अपनी सुरक्षा को और ज्यादा मजबूत करने के लिए अगले साल रक्षा क्षेत्र में 19 अरब डॉलर खर्च करने का प्रस्ताव रखा है।
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ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के मंत्रिमंडल ने कुल प्रस्तावित रक्षा बजट में वार्षिक आधार पर 13.9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 19.41 अरब डॉलर निर्धारित किया है। इसमें लड़ाकू विमान और अन्य उपकरणों के लिए अतिरिक्त विशेष फंड शामिल हैं। हालांकि बजट, लेखा और सांख्यिकी महानिदेशालय ने यह नहीं बताया है कि पैसा कहां जाएगा। ताइवान ने अपने रक्षा बजट में यह रिकॉर्ड वृद्धि की है जो देश के रक्षा खर्च में बढ़ोतरी की तुलना में सर्वाधिक है। ताइवान की 2017 के बाद वार्षिक वृद्धि चार फीसदी से नीचे रही है। इस वृद्धि का मकसद हथियारों को रक्षा बेड़े में शामिल करना है। सांख्यिकी विभाग के मंत्री चू जर मिंग ने कहा कि हमें रक्षा खर्च में वृद्धि करना जरूरी हो गया है। हम हमेशा सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। इसलिए बजट के लिए संचालन लागत काफी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि ताइवान के पास चीनी सैन्य गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए भेजे गए विमानों और जहाजों के लिए ईंधन और रखरखाव जैसी लागतों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
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