अंतर्राष्ट्रीय

भारत को लगा झटका! हिंद महासागर में खोया सबसे करीबी दोस्त, China की हो गई बल्ले बल्ले, अब क्या होगा?

भारत ने हिंद महासागर में एक महत्वूर्ण भू-राजनीतिक दोस्त को खो दिया है। इससे हिंद महासागर में भारत के प्रभुत्व (China) को खतरा हो सकता है। इस पूरे घटनाक्रम से एक देश को सबसे अधिक फायदा होगा और वो है चीन। चीन (China) को अब भारत के नजदीक श्रीलंका के अलावा एक और दोस्त मिल गया है। जिससे वह हिंद महासागर में अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने में ज्यादा सक्षम होगा। दरअसल, एक दिन पहले ही मालदीव राष्ट्रपति चुनाव में भारत समर्थक राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह चुनाव हार गए हैं। उनकी जगह विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार डॉ मोहम्मद मुइज्जू को जीत मिली है। मोइज्जू प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) के साझा उम्मीदवार थे, जो भारत के प्रति गहरा संदेह रखती है। उनकी पार्टी चीन के साथ मजबूर रिश्तों की समर्थक है।

भारत के लिए क्यों मायने रखता है मालदीव

मालदीव एक द्वीपीय राष्ट्र है, जो भारत से लगभग 2000 किलोमीटर दूर स्थित है। इसकी जनसंख्या मात्र 520,000 है। यह देश रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर में स्थित है। इस देश के पास से दुनिया की सबसे व्यस्ततम समुद्री मार्गों में से एक गुजरता है। ऐसे में मालदीव पर किसी देश का पूरा प्रभुत्व हो जाए तो वह हिंद महासागर से होने वाले समुद्री व्यापार को प्रभावित कर सकता है। इतना ही नहीं, हिंद महासागर के जिस इलाके में मालदीव स्थित है, उससे थोड़ी ही दूरी पर डिएगो गार्सिया है, जो अमेरिकी और ब्रिटिश नेवल बेस है। इसके अलावा इसके पश्चिम में रीयूनियन द्वीप समूह में फ्रांसीसी ओवरसीज बेस भी मौजूद है। ऐसे में मालदीव से भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के मिलिट्री बेस की भी जासूसी की जा सकती है।

मालदीव पर श्रीलंका के जैसे कब्जा चाहता है चीन

भारत दशकों से इस क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली शक्ति रहा है। रक्षा और व्यापार पर मालदीव जैसे रणनीतिक रूप से स्थित द्वीप राष्ट्रों के साथ मिलकर काम करने से भारत के प्रभाव को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। मालदीव के साथ घनिष्ठ संबंध भी इस क्षेत्र में चीन जैसी प्रमुख शक्तियों को पैर जमाने से रोकते हैं। चीन (China) की बढ़ती सैन्य शक्ति को देखते हुए हिंद महासागर का इलाका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। चीन शुरू से ही हिंद महासागर पर राज करने का सपना देखता रहा है। इसके लिए चीन ने श्रीलंका को कर्ज देकर हंबनटोटा में उसके बंदरगाह पर कब्जा भी किया हुआ है। चीन ने मालदीव पर भी कब्जे की खूब कोशिश की थी। उसने अब्दुल्ला यामीन को पैसे खिलाकर मालदीव के एक द्वीप को खरीद भी लिया था, हालांकि वह उस द्वीप पर नौसैनिक अड्डा नहीं बना सका।

भारत के मालदीव के साथ मजबूत रक्षा संबंध

भारत ने चीन (China) की आक्रामकता को देखते हुए मालदीव के साथ मजबूत रक्षा संबंध विकसित किए हैं। भारत ने मालदीव तटरक्षक बल को रक्षा उपकरण जैसे कि हाई स्पीड गश्ती नौकाएं उपहार में दी हैं। इसने मालदीव के रक्षा बलों को उपहार में दिए गए डोर्नियर विमान का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित करने में मदद करने के लिए अपने सैनिकों को तैनात किया है। मालदीव अपनी तटीय रक्षा और निगरानी के लिए भारत के सहयोग पर निर्भर है। मालदीव के महत्व को देखते हुए, भारत भी उसका महत्वपूर्ण विकास भागीदार रहा है। भारत ने मालदीव में बुनियादी ढांचे, हवाई अड्डों और आवास के निर्माण पर अरबों रुपये खर्च किए हैं। भारत, मालदीव का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और पर्यटन का प्रमुख स्रोत भी है।

मालदीव की राजनीति में भारत बड़ा खिलाड़ी

मालदीव की राजनीति में भारत एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी रहा है। भारत 1965 में मालदीव को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। 1988 में, भारत ने राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को उखाड़ फेंकने के लिए तख्तापलट को रोकने के लिए सेना भेजी थी। भारत ने भी 2008 में देश में लोकतांत्रिक परिवर्तन का समर्थन किया। भारत के प्रभाव को देखते हुए, मालदीव ने आमतौर पर ‘इंडिया फर्स्ट’ की नीति को अपनाता रहा है। इसका मतलब यह है कि भारत देश का पसंदीदा भागीदार है। वर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह भी इस नीति के प्रबल समर्थक हैं। लेकिन, भारत की शक्ति और प्रभाव गहराने से मालदीव में विरोधी ताकतों को दुष्प्रचार करने का मौका भी मिला है।

मालदीव में भारत विरोधी ताकतें मजबूत

मालदीव के राजनेताओं का एक वर्ग भारत के प्रभाव और शक्ति पर अविश्वास करता है। इसके अगुआ पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन हैं, जिन्होंने मालदीव में इंडिया आउट कैंपेन शुरू किया। वर्तमान में अब्दुल्ला यामीन भ्रष्टाचार के मामले में 11 साल की सजा काट रहे हैं। वहीं, वर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह इंडिया फर्स्ट नीति के स्पष्ट समर्थक हैं, लेकिन अब वह अपने प्रतिद्वंदी मोहम्मद मुइज्जू से चुनाव हार गए हैं। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मुइज्जू पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के करीबी सहयोगी हैं। 2013-18 तक यामीन के कार्यकाल में पारंपरिक रूप से मजबूत भारत-मालदीव संबंधों में तनाव बढ़ गया था। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि यामीन भारत को मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के करीबी के तौर पर देखते हैं, जिसके प्रमुख इब्राहिम मोहम्मद सोलिह हैं।

यह भी पढ़ें: Saudi Arab ने China को दिया बड़ा झटका! इजरायल से दोस्ती करेंगे मोहम्मद बिन सलमान, America की बल्ले-बल्ले

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

7 months ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

7 months ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

7 months ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

7 months ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

7 months ago