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Coup In Niger: अपने हाथ होने से रूस का इन्कार, संवैधानिक व्यवस्था की बहाली की मांग

नियामी में प्रदर्शनकारी (फ़ोटो: सौजन्य: Twitter/@SpriterTeam)

Coup In Niger:नाइजर में प्रदर्शनकारियों को रूस समर्थक और फ़्रांस विरोधी नारे लगाते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के एक दिन बाद मॉस्को ने सोमवार को सावधानीपूर्वक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह पश्चिम अफ़्रीकी राष्ट्र की स्थिति के बारे में गंभीर रूप से चिंतित है और देश में क़ानून के शासन की शीघ्र बहाली की उम्मीद करता है।

नाइजर के राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ौम को 26 जुलाई को देश के राष्ट्रपति गार्ड के कमांडर जनरल अब्दौरहामाने त्चियानी के नेतृत्व में एक सैन्य तख़्तापलट में अपदस्थ कर दिया गया था, जिससे आतंक प्रभावित साहेल क्षेत्र के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गयी। राज्य संस्थानों की गतिविधियां निलंबित कर दी गयी हैं, सीमायें बंद कर दी गयी हैं और पूरे देश में कर्फ़्यू लगा दिया गया है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रेस सचिव दिमित्री पेसकोव ने सोमवार को स्थानीय मीडिया को बताया, “हम नाइजर की स्थिति पर बहुत बारीक़ी से नज़र रख रहे हैं, ख़ासकर इस तथ्य के संदर्भ में कि पिछले सप्ताह के दौरान हम वास्तव में अफ़्रीकियों के साथ मिलकर अफ़्रीकी मामलों में बहुत क़रीब से शामिल रहे हैं। बेशक, वहां जो कुछ हो रहा है, वह गंभीर चिंता का विषय है।”

क्रेमलिन की प्रतिक्रिया तब आयी है, जब रूस ने पिछले सप्ताह सेंट पीटर्सबर्ग में दूसरा रूस-अफ़्रीका शिखर सम्मेलन संपन्न किया, जिसमें 17 राष्ट्राध्यक्षों सहित 49 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

पेस्कोव ने कहा, “हम देश में क़ानून के शासन की शीघ्र बहाली के पक्ष में हैं। हम सभी पक्षों पर संयम के पक्ष में हैं, जिससे हताहतों से बचने में मदद मिलेगी। बेशक, हम चाहते हैं कि नाइजर जल्द से जल्द संवैधानिक व्यवस्था बहाल करे और उस देश के विकास के रास्ते में आने वाले भारी कार्यों से निपटने के लिए काम करना जारी रखे।”

रविवार को हज़ारों प्रदर्शनकारी देश की राजधानी नियामी में फ़्रांसीसी दूतावास के बाहर एकत्र हुए, उन्होंने रूसी झंडे लहराये और फ़्रांसीसियों के ख़िलाफ़ नारे लगाये, जिन्होंने 1960 तक भूमि से घिरे इस देश पर शासन किया था और अब भी कई समझौतों के माध्यम से महत्वपूर्ण प्रभाव बनाये रखा है।

दिलचस्प बात यह है कि येवगेनी प्रिगोझिन के नेतृत्व वाले वैगनर समूह मध्य अफ़्रीकी गणराज्य (सीएआर) और पड़ोसी माली सहित क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, उसने नाइजर के सैन्य इस तख़्तापलट की सराहना की है।

हालांकि, पेसकोव ने यह स्पष्ट कर दिया कि नाइजर की स्थिति के क्रेमलिन के आकलन और उस देश में जो कुछ हो रहा है, इसके बारे में प्रिगोझिन के शब्दों को उसी अर्थ में नहीं समझा जाना चाहिए।

इस बीच, फ़्रांस ने रविवार को देखी गयी “अस्वीकार्य हिंसा” को समाप्त करने का आह्वान किया है, जिसमें कहा गया है कि नियामी में उसके राजनयिक परिसर की सुरक्षा मेज़बान राज्य के पास है और वियना सम्मेलनों के तहत सुरक्षा सुनिश्चित करने का दायित्व नाइजीरियाई बलों का है।

पेरिस ने कहा है कि नाइजर के लोगों द्वारा लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मोहम्मद बज़ौम नाइजर के एकमात्र राष्ट्रपति हैं और फ़्रांस जनरल त्चियानी के नेतृत्व वाले तख़्तापलट से उत्पन्न अधिकारियों को मान्यता नहीं देता है।

नाइजर के पास यूरेनियम का बड़ा भंडार होने के कारण देश में लगभग 30 फ़्रांसीसी कंपनियां सक्रिय हैं, जो सभी आर्थिक क्षेत्रों, विशेष रूप से सेवाओं, वितरण और खनन क्षेत्र को कवर करती हैं।

नाइजर मुख्य रूप से फ़्रांस से विद्युत उपकरण, कंप्यूटर और उपकरण और फ़ार्मास्युटिकल उत्पादों का आयात करता है। बदले में फ़्रांस को निर्यात किए जाने वाले पहले तीन नाइजीरियाई उत्पाद हैं: अलौह धातु, धातु अयस्क और विभिन्न रासायनिक उत्पाद।

कथित तौर पर तख़्तापलट के बावजूद फ़्रांस की सरकारी स्वामित्व वाली ओरानो अब भी देश के उत्तर में अपनी यूरेनियम खनन गतिविधियां जारी रखे हुए है।

प्रमुख फ्रांसीसी दैनिक ले मोंडे की एक रिपोर्ट में कहा गया है, “देश में लगभग पचास वर्षों से मौजूद तीन यूरेनियम खदानों-जिनमें से केवल एक चालू है- के नियंत्रण के माध्यम से फ़्रांसीसी राज्य के स्वामित्व वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी इंगित करती है कि इस स्तर पर इसकी गतिविधियां इस स्थिति से परेशान नहीं हैं।”

तेज़ी से घट रहे घटनाक्रम की इस श्रृंखला में कई रिपोर्टों में उद्धृत किया गया कि अंतरिम नाइजर प्रधानमंत्री हसौमी मासौदौ ने भी फ़्रांस को राष्ट्रपति महल पर हमला करने की अनुमति दे दी है।