अंतर्राष्ट्रीय

Iran की महिलाओं पर कट्टरपंथियों ने फिर थोपा धर्म , हिजाब न पहनने पर देना होगा 49 लाख का जुरमाना

इस्लाम में कट्टरपंथियों की जगह नहीं!

ईरान(Iran) के कट्टरपंथी अपनी हरक़तों से बाज़ नहीं आते है। अब वहां की संसद ने नया क़ानून बनाया है।इस क़ानून के तहत महिलाओं की लिए एक ड्रेस कोड है, जिसमें हिजाब पहनना अनिवार्य है। हिजाब न पहनने पर देने होंगे 49 लाख रुपए तक का जुरमाना। ईरान(Iran) के सांसद हुसैनी जलाली ने इसकी पुष्टि की है।यह कट्टरपंथी बस क़ानून की आड़ में महिलाओं से उनकी आज़ादी छीन लेना चाहते हैं।

ईरान(Iran) में पिछले 6 महीने से महिलाएं हिजाब का विरोध कर रही है। ऐसे में हिजाब को लेकर ऐसा क़ानून बना देना महिलाओं की लिए एक बहुत बड़ा झटका है। सवाल है कि धर्म के बहाने इस क़ानून की आड़ में आखिर कब तक ऐसा चलेगा ? महिलाएं एक जीता जागता इंसान हैं। उन्हें अपनी मर्ज़ी का खाना खाने,अपनी मर्ज़ी की कपड़े पहनने ,अपनी मर्ज़ी से आने जाने की आज़ादी उनका मूल अधिकार होना चाहिए है। लेकिन, नहीं ऐसा कर देने से तो इनकी आज़ादी में असल में बाधा आ जाएगी।

सिर्फ़ यही नहीं, महिलाओं ने अगर नए ड्रेस कोड का पालन नहीं किया तो उनके पासपोर्ट ज़ब्त कर लिए जाएंगे और उनके इंटरनेट इस्तेमाल करने पर भी पाबंदी लगा दी जाएगी।ईरान के एक मौलवी मुहम्मद नबी मौसवीफारद ने सरकार से अपील कर कहा था कि इससे पहले की महिलाएं गर्मियों में बिना पर्दे के घर से बाहर आएं,तो सरकार को हिजाब पर कोई सख़्त क़ानून बना देना चाहिए।उन्होंने यहां तक कह दिया था कि हिजाब नहीं पहनने वाले लोगों को किसी तरह कोई सुविधा नहीं मिलनी चाहिए।

मेरा सवाल इन कट्टरपंथियों या इन जैसे मौलवियों से एक यह है की महिला के हिजाब न पहनने से आखिर इनको इतना डर किस चीज़ का है ? क्या आपने अपने-अपने घर की महिलाओं की ऐसी परवरिश करी है कि अगर वह हिजाब नहीं पहनेगी, तो वह बिना कपड़ो के ही बाहर आ जाएगी ? ऐसा व्यव्हार कोई जानवरो तक के साथ नहीं करता है, जैसा इन्होने अपनी देश की महिलाओं की साथ कर रखा है।महसा अमिनि का केस कोई ज़्यादा पुराना तो है नहीं ,जिसमें उस मासूम की हत्या का कारण सिर्फ उसका हिजाब का नहीं पहनना था।

पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इस्लाम कोई संकुचित मज़हब नहीं है।यह मज़हब हमें अमन में रहना सीखाता है। ऐसे में यह किसका इस्लाम है, जिसमें हिजाब ना पहनने पर मौत के घाट उतार देने का हुक़्म सुनाया जाता है। इस्लाम में कहीं भी ज़ोर-ज़बरदसती की अवधारणा नहीं है।लेकिन, पता नहीं इन देशो में किसका इस्लाम चल रहा है ?

 

यह भी पढ़ें: इस Islamic देश में भूख से तड़प रही जनता- लेकिन मस्जिदों में बहा रहे जमकर पैसा

 

Aamnah Farooque

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