Egypt Economic Crisis: इस वक्त दुनिया के कई देशों में जमकर आर्थिक भूचाल आया है। साथ ही कई देशों में जंग के हालता हैं तो कई जंग के मैदान में आमने सामने हैं। दुनिया का एकलौता धर्म के नाम पर भारत से अलग होने वाला पाकिस्तान आज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। कंगाली के हाल में दुनिया के सामने कटोरा लेकर खड़ा है। कभी चीन से भीख मांग रहा तो कभी, सऊदी से तो कभी UAE में जाकर रो रहा है। इस बीच एक और इस्लामिक देश (Egypt Economic Crisis) है जहां पर आर्थिक भूचाल आ गया है। देश में खाने के लिए लाले पड़ गये हैं। रोटी-रोटी के लिए लोग तरस रहे हैं। ये कोई और नहीं बल्कि, पिरामिड और ममी के लिए मशहूर मिस्र (Egypt Economic Crisis) है। जो इस वक्त पूरी दुनिया में सुर्खियों में है। जिस मिस्र का खाना दुनिया के जुबां पर चढ़ा वहीं पर आज भयंकर खाद्यान्न संकट आ पड़ी है। पाकिस्तान के बाद अब मिस्र भयानक आर्थिक संकट में है। लोगों के पास रोटी खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं।
रोटी के लिए तरह रहा पूरा मिस्र
स्वाद के लिए मशहूर मिस्र ने पास्ता, चावल, दाल, चने, फ्राइ किए हुए प्याज, मसालेदार टमाटर का सॉस से मिलाकतर बनाई गई कोशारी डिश सबकी फेवरिट है। लेकिन इस समय देश में इतना भयंकर खाद्यान्न संकट है कि रेस्टोरेंट्स से ग्राहक तक लौट रहे हैं। ऐसी स्थिति हो चुकी है कि, गरीब से लेकर अमीर इंसान तक परेशान हैं। लेकिन, इसके बाद भी देश की मस्जिदों के निर्माण पर पानी की तरह पैसे खर्च किये जा रहे हैं। देश के नागरिकों को समझ नहीं आ रहा है कि जब आर्थिक संकट है तो फिर मस्जिदों का निर्माण या फिर उनका रेनोवेशन क्यों कराया जा रहा है। लोगों का कहना है कि, पहले घर के लोग कहते थे कि अगर गरीबी है तो धन को मस्जिदों पर खर्च नहीं करना चाहिए। लेकिन, अब कहना है कि, मस्जिदों के बाहर डोनेशन बॉक्स रखकर मस्जिदों के निर्माण और दूसरे कामों के लिए रकम इकट्ठा करनी चाहिए।
रूस-यूक्रेन जंग से बर्बाद हो गया मिस्र
रूस और यूक्रेन जंग के चलते पूरी दुनिया में हर चीजों के दामों में तेजी आई है। खासकर यूरोप में तो हर एक चीजों के दाम बढ़े हुए हैं। लेकिन, इस जंग का सबसे बुरा असर मिस्र पर पड़ा। दरअसल, अमेरिकी मैगजीन सीईओवर्ल्ड की माने तो मिस्र वह अरब देश है जहां पर एक व्यक्ति औसतन 219 डॉलर प्रतिमाह ही कमाता है। महामारी के बाद जब मिस्र उबरने की कोशिशें कर रहा था, रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। महामारी ने देश के पर्यटन उद्योग को बुरी तरह से चौपट किया तो जंग ने हालात और खराब कर दिए। पर्यटन उद्योग पूरी तरह से ठप पड़ा है। विदेशी निवेशकों ने जंग के कुछ ही हफ्तों के अंदर अरबों डॉलर वापस खींच लिए। इसका अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा। मिस्र, रूस और यूक्रेन से गेहूं आयात करता है। गेहूं की कीमतें भी जंग के साथ बढ़ने लगीं जबकि पर्यटन कम होने लगा। देश का पर्यटन उद्योग लंबे समय तक रूस और यूक्रेनी पर्यटकों पर ही निर्भर रहा है।
आर्थिक भूचाल के बीच भी मस्जिदों पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा
मिस्र में आर्थिक भूचाल के बाद भी मस्जिदों पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। पिछले साल नवंबर में देश के धार्मिक अनुदान मंत्रालय ने डोनेशन बॉक्स का आइडिया कैंसिल कर दिया था। मंत्रालय ने कहा कि डोनेशन बॉक्स की जगह लोग अपने बैंक अकाउंट से पैसे ट्रांसफर करें। सितंबर 2020 में धार्मिक अनुदान मंत्री मोहम्मद मुख्तार गोमा ने बताया था कि मिस्र में मस्जिदों की कुल संख्या 1 लाख 40 हजार तक पहुंच गई है जिसमें से एक लाख बड़े मस्जिद भी शामिल हैं। मिस्र में कई मस्जिद ऐसे हैं जहां पर सिर्फ शुक्रवार को ही भीड़ होती है या फिर रमजान के महीने में ये फुल होते हैं। ऐसे में क्यों नई मस्जिदों का निर्माण हो रहा है। वहीं, पिछले महीने ही देश में 9600 मस्जिदों का या तो निर्माण हुआ है या फिर इन्हें रेनोवेट कराया गया। साल 2013 में जब अब्देल फतह अल-सीसी ने राष्ट्रपति पद संभाला था तब से ही देश में मस्जिदों पर तेजी से खर्च हो रहा है। अब तक 404 मिलियन डॉलर मस्जिदों पर खर्च कर डाले गए हैं। सीसी के रवैये पर देश के युवा अब सवाल उठाने लगे हैं। उनका कहना है कि प्रार्थना तो कहीं भी की जा सकती है। लेकिन पढ़ाई के लिए स्कूल और इलाज के लिए अस्पताल की भी जरूरत होती है।
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