Egypt Pyramid: मिस्र को पिरामिड का देश भी कहा जाता है। आखिर ये कैसे बना इसे लेकर समय-समय पर थ्योरी दी जाती रही हैं। वहीं वैज्ञानिक मान रहे हैं कि संभवतः उन्होंने पिरामिड के निर्माण से जुड़े एक महत्वपूर्ण रहस्य का पता लगा लिया है। गीजा का ग्रेट पिरामिड 23 लाख चूना पत्थरों और ग्रेनाइट ब्लॉक से बना है, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग दो टन है। मॉर्डन टेक्नोलॉजी जैसे क्रेन के बिना इसे यहां तक कैसे लाया गया? ये एक रहस्य है जिसने सदियों से इतिहासकारों को हैरान कर रखा है। कुछ लोग तो इसे एलियन का काम बता देते हैं।पुरातत्विदों की एक इंटरनेशनल टीम का मानना है कि उन्होंने इसकी पहेली सुलझा ली है। उनका मानना है कि मिस्र के लोगों ने विशाल चट्टानों को गीजा तक ले जाने के लिए नील नदी की एक सहायक नदी का इस्तेमाल किया। टीम ने गीजा के बाढ़ वाले इलाके से लिए गए पांच जीवाश्म मिट्टी के नमूनों को फ्रांस की एक प्रयोगशाला में भेजा।
किस तरह के पत्थर लाये गए
वैज्ञानिकों को इसके लिए नौ मीटर तक खुदाई करनी पड़ी। लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई। उन्होंने नदी की एक शाखा खुफू की खोज की, जिसके जरिए प्राचीन बिल्डर बड़े-बड़े स्लैब लेकर आए। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण भूगोलवेत्ता हैदर शीशा ने कहा कि इस खोज में मुझे दिलचस्पी रही है। ये दिखाता है कि पिरामिड बनाने से जुड़ी सामग्री का परिवहन पानी के ऊपर से किया गया था।
ये भी पढ़े: पिरामिड का देश, सबसे लंबी नदी! जाने मिस्र देश से जुडी हैरान कर देने वाली बातें
पिरामिड बनने के बाद सुख गई नदी
बताय गया कि अगर ये नदी न होती तो इस तरह की संरचनाओं का निर्माण असंभव होता। पिरामिड के निर्माण के 2000 साल बाद खुफू शाखा 600 ईसा पूर्व के आसपास सूख गई। शीशा का कहना है कि यह खोज शोधकर्ताओं को प्राचीन मिस्रवासियों के और अधिक रहस्यों को उजागर करने में मदद कर सकती है। गीजा के पिरामिड 2550 से 2490 ईसा पूर्व के बीच बनाए गए।