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सोने से कीमती है ये एक चीज! 150 साल बाद धरती पर आने वाली आसमानी आफत के खुलेंगे रहस्य

उल्कापिंड बेन्नू के सैंपल

नासा (NASA) ने रविवार को ओसिरिस रेक्स मिशन में कामयाबी हासिल की। यह उल्कापिंड का नमूना वापस लाने वाला नासा का पहला मिशन बना है। स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक इसने 6.2 अरब किमी की यात्रा तय की। ओसिरिस रेक्स मिशन के स्पेसक्राफ्ट ने रविवार को इस कैप्सूल को अंतरिक्ष से धरती की कक्षा में रिलीज किया। जब यह धरती पर गिर रहा था, तब इसकी रफ्तार 43,452 किमी प्रति घंटा थी। साल 2016 में इस मिशन को लॉन्च किया गया था। अपने साथ यह लगभग 250 ग्राम एस्टेरॉयड बेन्नू का नमूना लाया है। यह मात्रा भले ही सुनने में बेहद कम लगे, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि यह उनके लिए पर्याप्त है। इसके जरिए सौर मंडल के बनने से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।

1999 में खोजा गया उल्कापिंड

कैप्सूल को क्लीन रूम में ले जाने के बाद इसे खोला गया। हालांकि जिस बॉक्स में सैंपल हैं, उसे नहीं खोला गया है। यह ह्यूस्टन में जॉनसन स्पेस सेंटर में भेजा जाएगा, जहां सैंपल का विश्लेषण होगा। इससे पहले जापान भी दो मिशन के जरिए उल्कापिंड का सैंपल लाया था। हालांकि उसकी मात्रा बेहद कम थी। जिस उल्कापिंड से नासा ने सैंपल लिए हैं, उसका नाम बेन्नू है, जो एक कार्बन रिच एस्टेरॉयड है। 1999 में इसे खोजा गया था और पृथ्वी के करीब की चीज बताई गई थी, क्योंकि हर ठह साल में यह ग्रह के करीब तक आता है।

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सौरमंडल के बनने का सबूत

ओसिरिस रेक्स मिशन में पता चला कि ऊपरी सतह ठोस नहीं बल्कि छोटे-छोटे पत्थरों से भरा है। इसका व्यास 500 मीटर है। डायनासोर को खत्म करने वाले Chicxulub उल्कापिंड से यह काफी छोटा है। अन्य क्षुद्रग्रहों की ही तरह बेन्नू भी प्रारंभिक सौरमंडल का अवशेष है। 4.5 अरब साल पहले जब सौरमंडल बना था, तब से बेन्नू में कोई बदलाव नहीं आया होगा। इसी कारण वैज्ञानिकों को इसमें खास दिलचस्पी है। यह बता सकता है कि पृथ्वी जैसे चट्टानी ग्रह कैसे बने। इसके अलावा इनमें कार्बनिक अणु हो सकते हैं, जो माइक्रोब के लिए जरूरी हों। इसे सबसे खतरनाक एस्टेरॉयड माना जाता है, क्योंकि यह 150 साल बाद धरती से टकरा सकता है। हालांकि इसकी सिर्फ संभावना है।