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बिलावल भुट्टो वाली भाषा बोल रही Hina Rabbani, पीएम मोदी में उनको नहीं दिखता ‘पार्टनर’

Hina Rabbani Khar On India

Hina Rabbani Khar On India: पाकिस्तान आज इस मोड़ पर खड़ा है जहां से आगे गहरी खाई है और पीछे कुहां है और अपना ये हाल उसने खुद से किया है। कंगाली के हाल में पाकिस्तान दुनिया के सामने कटोरा लेकर खड़ा है। पाकिस्तान (Pakistan Economic Crisis) के ऊपर दूसरे देशों के इतने कर्ज हैं कि उसे पूरा करने में ही उसे कई वर्ष लग जाएंगे। इसके साथ ही अब देश में रोज की दैनिक जरूरतों को पूरा करने वाले सामानों तक की भारी कमी आ पड़ी है। मुल्क में न तो आटा है और न ही दाल, प्याज। मुल्क में खाने के लिए लाले पड़े हैं, लोगों की थाली से रोटी गायब है, पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है। लेकिन, शहबाज शरीफ के मंत्रियों को भारत के खिलाफ जहर उगलने से फुरसत कहा हैं। बिलावल भुट्टों की तो जुबान ही जहरिली है। वैसे भी पाकिस्तान की सत्ता में जो भी मंत्री आता है उसका काम ही होता है भारत के खिलाफ जहर उगलना, वरना उसे अच्छा नेता नहीं माना जाता। अब बिलावल की जहरिली जुबान का स्वाद उनकी कथित गर्लफ्रेंड रही हिना रब्बानी खार (Hina Rabbani Khar On India) को भी लग गया है। हिना रब्बानी खार (Hina Rabbani Khar On India) भी भारत के खिलाफ जहर उगलने लगी हैं। पाकिस्तान कटोरा लेकर कभी चीन तो कभी सऊदी, कभी यूएई से भीख मांग रहा है। ऐसे समय में भी इन्हें भारत के खिलाफ बोलने का मौका मिल जा रहा है, काफी ताज्जुब की बात है। पाकिस्तान के कंगाली की वजह भी यही है कि, वो अपना छोड़ हमेशा दूसरों के पीछे पड़ा रहता है।

हिना रब्बानी खार को पीएम मोदी के बारे में नवाज शरीफ और इमरान खान से पूछना चाहिए
पाकिस्तानी मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा कि उनके देश को दोनों देशों के बीच शांति की दिशा में काम करने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में एक सहभागी नहीं दिखता है, लेकिन इसने उनके पूर्ववर्तियों मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी में एक सहभागी देखा था। हिना रब्बानी खार को पाकिस्तान के मंत्रियों में ये क्यों नहीं दिखता। एक ओर भारत में आतंकी हमले कर और दूसरी ओर शांति-शांति के नाम पर बात कर समझौता करें। ये तो मुमकीन नहीं है न रब्बानी जी। भारत ने जब भी पाकिस्तान के साथ समझौते की बात की तब-तब उसने पीठ में छूरा घोंपा। हिना रब्बानी खार को जाकर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से पूछना चाहिए कि, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चलकर उनके पास जा रहे थे समझौते के लिए तो फिर वो पीछे क्यों हट गये, ये बात खुद पाकिस्तानी मीडिया ने बताया है। हिना रब्बानी खार को ये शब्द बोलने से पहले ये सोच लेना चाहिए था कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वही हैं जो अचानक पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने पहुंच गये थे।

कंगाली के हाल में भी भारत का नाम पाकिस्तान के जुबान पर
दक्षिण एशिया पर विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक 2023 में एक सत्र को संबोधित करते हुए खार ने कहा जब मैं विदेश मंत्री के रूप में भारत गई, तो मैंने बेहतर सहयोग के लिए दबाव बनाने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की थी और हम 2023 की स्थिति की तुलना में उस समय बहुत बेहतर स्थिति में थे। पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री मोदी में एक सहभागी नहीं दिखता, हालांकि वह अपने देश के लिए अच्छा हो सकतें हैं, मैंने मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी में एक सहभागी देखा। खार ने कहा कि पाकिस्तान ने अतीत से सबक सीखे हैं और वह आगे बढ़ना चाहता है लेकिन उन्हें लगता है कि भारत हमेशा एक ऐसा देश था जहां सभी धर्म सह-अस्तित्व में थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कह रही हूं कि हमें पाकिस्तान में कोई समस्या नहीं है, लेकिन हमारी सरकार हमेशा यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि नए कानूनों और मौजूदा कानूनों को लागू करके अल्पसंख्यकों की रक्षा की जाए। हिना रब्बानी खार की बातों को सुन कर हंसी आती है, उन्हें जाकर पीओके और बलूचिस्तान में लोगों की हालातों का जायजा लेना चाहिए।

पाकिस्तान की ओर से है समस्या
इस बीच आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने चर्चा के दौरान कहा कि पाकिस्तान को यह महसूस करना होगा कि समस्या उनकी तरफ से है क्योंकि भारत को किसी अन्य पड़ोसी से समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों देश एक ही भाषा साझा करते हैं और उनकी संस्कृति, भोजन आदि समान हैं। रविशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार हाथ बढ़ाया है। उन्होंने बार-बार मदद करने की पेशकश भी की और यह आरोप कि वर्तमान प्रधानमंत्री ने कोई इच्छा नहीं दिखाई है, का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सभी पड़ोसियों को मदद की पेशकश की है और यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने कुछ नहीं किया।

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