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अमेरिका ने G-7 Summit में भारत के साथ मिलकर ड्रैगन को दिया बड़ा झटका, BRI के जवाब में लॉन्च किया PGII

चीन के BRI प्रोजेक्ट को टक्कर देने के लिए अमेरिका ने लॉन्च किया PGII

इस बार जर्मनी हुए जी-7 शिखर सम्मेलन में कई मुद्दों पर बात हुई और कई बड़े फैसले लिए गए। इन्हीं फैसलों में से एक चीन को झटका देने के लिए भी हुआ। ऐसे में ड्रैगन इसे देखते हुए झल्ला उठेगा। दरअसल, दुनिया के सात विकसित देशों के संगठन G-7 के नेताओं ने भारत जैसे विकासशील देशों में ढांचागत परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2027 तक 600 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान किया है। G-7 देशों की ओर से इस पहल को चीन की तरफ से चलाई जा रही 'बेल्ट एवं रोड इनिशिएटिव' (BRI) के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।

दरअसल, चीन अपने इस BRI परियोजना के अंतरगत दुनिया के कई देशों को भारी कर्ज दिया हुआ है। हालांकि, चीन की ये चाल है कि, दुनिया के छोटे देशों को कर्ज देकर उन्हें ऐसे फंसा दो कि उनकी अर्थव्यवस्था गिर जाए और उसके बाद चीन वहां के एयरपोर्टों, बंदरगाहों और अन्य जरूरी जगहों पर अपनी आर्मी तैनात कर दे। जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन में रविवार को 'वैश्विक अवसंरचना और निवेश भागीदारी' (PGII) योजना का उद्घाटन किया गया। यह योजना जी-7 की पिछले साल ब्रिटेन बैठक में घोषित योजना का ही संशोधित रूप है।

यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडन ने PGII का ऐलान करते हुए कहा कि, यह योजना सभी के लिए फायदेममंद साबित होगी। ट्विटर पर उन्होंने एक ट्वीट कर लिखा कि, जी-7 के देश मिलकर 2027 तक करीब 600 अरब डॉलर जुटाएंगे जिसे महत्वपूर्ण ढांचागत परियोजनाओं में लगाया जाएगा। ये परियोजनाएं लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाएंगी और सही मायने में उनके लिए लाभदायक होंगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि, वैश्विक ढांचागत भागीदारी की यह पहल कोई मदद या चैरिटी नहीं है। यह सभी लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए किया जाने वाला एक निवेश है। इससे सभी अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलेगा। चीन की अरबों डॉलर वाली BRI योजना की इस आधार पर आलोचना की जाती रही है कि इसने कई विकासशील देशों को कर्ज के तले दबा दिया है। चीन BRI योजना के तहत विकासशील देशों को बंदरगाह, सड़क एवं पुल बनाने के लिए कर्ज देता है। इसकी शुरुआत शी जिनपिंग ने 2013 में की थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाइट हाउस की ओर से कहा गया कि, अमेरिका PGII के तहत अगले पांच वर्षों में अनुदान, संघीय वित्तपोषण और निजी निवेश के जरिये 200 अरब डॉलर जुटाने की मंशा रखता है। G-7 मिलकर कुल 600 अरब डॉलर जुटाने की कोशिश करेगा। इंडिया को लेकर व्हाइट हाउस ने कहा कि, अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय DFC उद्यम पूंजी कोष ओम्निवोर एग्रीटेक एंड क्लाइमेट सस्टेनेबिलिटी फंड-3 में तीन करोड़ डॉलर का निवेश करेगा। यह कोष भारत में कृषि, खाद्य प्रणाली, जलवायु एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़़े उद्यमों में निवेश करेगा।