'आईटूयूटू' ( I2U2) संगठन की पहली शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के अलावा इस्राइल के पीएम यैर लैपिड व यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान शामिल हुए और इस दौरान इन नेताओं ने कई मुद्दों पर बात किया। साथ ही भारत ने इन देशों के साथ मिलकर चीन पर कड़ा प्रहार किया है जिससे ड्रैगन बौखला उठेगा। चीन के आक्रामक रुख के विरुद्ध ये भारत का एक और कूटनीतिक प्रहार माना जा रहा है। प्रत्यक्ष रूप से यह समूह समुद्री परिवहन, आर्थिक प्रगति और भविष्य की प्रमुख चुनौतियों से निपटने के लिए बनाया गया है, लेकिन जिस प्रकार क्वाड के जरिये पूर्व में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की घेराबंदी हुई है, उसी प्रकार इस समूह के जरिये भी चीन की आर्थिक घेरेबंदी कर कूटनीतिक संदेश दिया गया है। ऐसे में पश्चिमी एशियाई देशों में चीन का प्रभाव कम होगा और कूटनीतिक चिंताएं बढ़ेंगी।
आई2यू2के पहले शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्यादा जोर वैश्विक आर्थिक प्रगति, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा पर जोर दिया, लेकिन उसमें भी अपनी आर्थिक प्रगति को लेकर घमंड में चूर चीन को स्पष्ट संकेत दिया गया कि, यह समूह विश्व में आर्थिक ताकत के रूप में उभरेगा। बताते चलें कि, चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए भारत का अधिक ताकतवर देशों के साथ साझेदारी कूटनीतिक रूप से अहम है। अमेरिका भी विश्व में चीन के प्रभाव को सीमित करना चाहता है। जबकि यूएई ने हाल के दिनों में अपना फोकस गैर तेल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ाया है, क्योंकि भविष्य में तेल से मुनाफा घटेगा क्योंकि दुनिया हरित ऊर्जा की ओर बढ़ रही है। इसी प्रकार इजरायल ने भी अपनी वैश्विक नीति में बदलाव किया है। वह अलग-थलग रहने की बजाय समूह में जुड़ने को प्राथमिकता दे रहा है। वैसे भी, इजरायल के लिए भारत के साथ-साथ यूएई भी बड़ा रक्षा खरीदार है।
कैसे बना I2U2
अमेरिका, इजरायल एवं यूएई के बीच 2020में हुए अब्राह्म समझौते में पिछले साल भारत का प्रवेश हुआ था। तब इसे इंटरनेशनल फोरम ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशन का नाम दिया गया था। पिछले साल अक्तूबर में समूह की औपचारिक बैठक भी हुई थी। बाद में यह नये समूह आई2यानी इंडिया और इजरायल और यू2अमेरिका और यूएई में परिवर्तित हुआ।
बता दें कि, I2U2 समूह के देशों के बीच पहले ही द्विपक्षीय संबंध मजबूत हैं। जिसके चलते आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में भागीदारी और वैश्विक कूटनीति में इसका जल्द असर नजर आएगा। बदलती भू राजनीतिक स्थितियों के बावजूद भारत-अमेरिका से संबंधों में मजबूती आई है। यूएई के साथ 50 साल पुराने संबंध हैं। हाल में मुक्त व्यापार समझौता भी हुआ है। इसके साथ ही इजरायल के साथ भी भारत की गहरी गोस्ती है। ये कारगिल युद्ध के दौरान ही दिख गई थी जब इजरायल ने वैश्विक दबाव को एक ओर करते हुए इस जंग में बहुत ही कम समय में भारत को हथियारों की आपूर्ति की थी। इसके साथ ये समूह आर्थिक प्रगति और खाद्य ऊर्जा आदि क्षेत्रों में भावी चुनौतियों से निपटने में भी बेहद मददगार साबित हो सकता है। क्योंकि, चारों देशों के पास कोई न कोई विशेषज्ञता और खूबी है जिनके समावेश से यह समूह मजबूत बनता है। वैसे भी भारत की इन दिनों कई वैश्विक मचों पर कूटनीति सफल रही है। जी-20, जी-7, क्वाड, आसियान, ब्रिक्स, दक्षेस, संयुक्त राष्ट्र, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, बिमस्टेक आदि प्रमुख हैं।